अंतरिक्ष स्टार्टअप के लिए वेंचर फंड के लिए 1,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। यह बात आज यहां केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि यह निर्णय मोदी 3.0 सरकार के पहले 100 दिनों के भीतर लिया गया, जो इस बात का संकेत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार अंतरिक्ष क्षेत्र को उच्च प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष उन शीर्ष तीन या चार क्षेत्रों में से एक है, जिनकी पहचान सरकार के तीसरे कार्यकाल 3.0 में फोकस के रूप में की गई है। मीडिया को जानकारी देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि लगभग चार साल पहले एक क्रांतिकारी कदम के रूप में अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी खिलाड़ियों के लिए खोलने का निर्णय लिया गया था। न्यू इंडिया स्पेस लिमिटेड (एनआईएसएल) एक नया पीएसयू था, जबकि इन-स्पेस इंडिया की स्थापना निजी क्षेत्र के साथ इंटरफेस के रूप में की गई थी। उन्होंने कहा कि यही नहीं, भारत के कुछ अंतरिक्ष स्टार्टअप विश्व क्षमता वाले हैं और अपनी तरह के पहले स्टार्टअप में से हैं। उन्होंने भारत के पहले निजी रॉकेट विक्रम-एस का जिक्र किया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है कि इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) की स्थापना वर्ष 1969 में हुई थी, जब अमेरिका ने अपने पहले मानव नील आर्मस्ट्रांग को चंद्रमा की सतह पर उतारा था। हालांकि, 60 साल से भी कम समय में भारत का चंद्रयान 3 दुनिया के किसी भी अन्य देश से पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच गया है, जो दर्शाता है कि भारत न केवल अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्र है, बल्कि अन्य देशों को अनुसरण करने के लिए मूल्यवान संकेत देने की स्थिति में भी है।डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे बताया कि सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में 100% एफडीआई की अनुमति दी है, जो नई पहल और नए उद्यमियों के लिए एक बड़ा बढ़ावा साबित हुआ है। जबकि भारत में स्टार्टअप की संख्या 2014 में 350 से बढ़कर 1.5 लाख से अधिक हो गई है, जिससे भारत विश्व पारिस्थितिकी तंत्र में तीसरे नंबर पर पहुंच गया है, अंतरिक्ष क्षेत्र के स्टार्टअप ने भी भारत की भविष्य की अर्थव्यवस्था में मूल्य जोड़ने में बहुत बड़ा योगदान देना शुरू कर दिया है, जो तेजी से कमजोर पांच से पहले पांच में बढ़ रहा है और कुछ वर्षों में चौथे और तीसरे नंबर पर पहुंचने की संभावना है। गगनयान का जिक्र करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हम इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत से पहले रोबोट व्योम मित्र के साथ अंतिम परीक्षण उड़ान भरने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि अगले साल यानी 2025 के दौरान गगनयान के जरिए पहला भारतीय मानव अंतरिक्ष में भेजा जा सके। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र की एक अनूठी विशेषता यह है कि जिन लोगों का अंतरिक्ष से सीधा संबंध नहीं है और जो भारत के आम नागरिक हैं, वे भी इस बात का सम्मान महसूस कर रहे हैं कि भारत अब एक प्रतिष्ठित राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आया है। उन्होंने कहा कि एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि हम केवल रॉकेट लॉन्च करने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ने कृषि, सड़क और भवन, स्मार्ट सिटी, शहरी विकास, भूमि राजस्व रिकॉर्ड, स्वास्थ्य देखभाल आदि सहित विभिन्न बुनियादी ढांचा और विकास क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी शुरू कर दी है।