अदालत ने केंद्र को आप कार्यालय के लिए जमीन आवंटित करने पर छह सप्ताह में फैसला लेने को कहा

नयी दिल्ली दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) को अन्य राजनीतिक दलों की तरह यहां पार्टी के कार्यालय के लिए जगह लेने का अधिकार है। साथ ही उच्च न्यायालय ने केंद्र से इस मुद्दे पर छह सप्ताह के भीतर फैसला लेने को कहा। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि ‘जनरल पूल (आवासीय आवंटन प्रणाली) में किसी आवास की अनुपलब्धता इस अनुरोध को खारिज करने की वजह नहीं हो सकती। अदालत ने कहा ‘‘उन्हें जनरल पूल से एक मकान मिलने का अधिकार है। महज दबाव या अनुपलब्धता इसे खारिज करने की वजह नहीं है क्योंकि दबाव हमेशा होता है और राजनीतिक दलों को हमेशा मकान आवंटित किए जाते रहे हैं।’’ ‘आप’ एक राष्ट्रीय दल के तौर पर मान्यता प्राप्त होने के आधार पर केंद्र द्वारा उसके कार्यालय के लिए जगह आवंटित करने की मांग कर रही है। पार्टी के वकील ने कहा कि ‘आप’ को 15 जून तक राउज एवेन्यू में अपने मौजूदा कार्यालय को खाली करना पड़ेगा। उन्होंने दलील दी कि दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) मार्ग पर एक मकान उसे अस्थायी रूप से आवंटित किया जाना चाहिए जो अभी उसके एक मंत्री के पास है। बहरहाल न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि पार्टी डीडीयू मार्ग पर स्थित संपत्ति पर अधिकार नहीं जता सकती। न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि अगर केंद्र ‘आप’ के प्रतिवेदन को खारिज कर देता है तो पार्टी उचित कदम उठा सकती है। ‘आप’ ने एक राष्ट्रीय दल के तौर पर मान्यता प्राप्त होने के आधार पर उसके कार्यालय के निर्माण के लिए राष्ट्रीय राजधानी में जमीन का एक टुकड़ा देने या कुछ समय के लिए लाइसेंस आधार पर एक आवास के आवंटन का अनुरोध करते हुए पिछले साल अदालत का रुख किया था। जमीन के आवंटन का अनुरोध करने वाली ‘आप’ की याचिका अभी उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। उच्चतम न्यायालय ने मार्च में ‘आप’ को यहां राउज एवेन्यू स्थित उसके कार्यालयों को खाली करने के लिए 15 जून तक का समय दिया था। अदालत ने पाया कि इस भूमि को न्यायिक अवसंरचना के विस्तार के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय को आवंटित किया गया था। अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी ने अदालत में कहा कि चूंकि प्राधिकारियों ने नयी दिल्ली में प्रमुख स्थानों पर सभी अन्य राष्ट्रीय दलों को कार्यालय परिसरों के निर्माण के लिए जमीन आवंटित की है इसलिए यह सुनिश्चित करना भी उनकी जिम्मेदारी है कि केंद्र की नीति के अनुसार उसे भी ऐसा ही आवंटन किया जाए।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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