अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए वास्तव में ‘दोहरी शांति’ की जरूरत है: जयशंकर

संयुक्त राष्ट्र, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए सच्चे अर्थों में देश के भीतर और इसके आसपास ‘दोहरी शांति’ की आवश्यकता है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीमा पार आतंकवाद समेत आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं किये जाने की नीति अपनाने की जरूरत पर जोर दिया है।

जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चर्चा के दौरान कहा कि हिंसा में तत्काल कमी और असैन्य नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भारत अफगानिस्तान में स्थायी और व्यापक संघर्ष विराम चाहता है। उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए सच्चे अर्थों में ‘दोहरी शांति’ यानी अफगानिस्तान के भीतर और इसके आसपास अमन की आवश्यकता है। इसके लिए उस देश के भीतर और आसपास सभी के हितों में सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है।’’

उन्होंने पाकिस्तान के एक स्पष्ट संदर्भ में कहा, ‘‘अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिये आतंकियों के सुरक्षित पनाहगाह को तत्काल नष्ट करना चाहिए और उनकी आपूर्ति श्रृंखला बाधित की जानी चाहिए। सीमा पार आतंकवाद समेत आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं किये जाने की नीति की आवश्यकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी समूहों द्वारा किसी अन्य देश को धमकाने या हमला करने के लिए नहीं किया जाये। आतंकवादी संगठनों को साजो-सामान और आर्थिक मदद पहुंचाने वालों को निश्चित रूप से जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।’’

अफगानिस्तान में स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस की पिछले सप्ताह की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि रिपोर्ट स्पष्ट है कि अंतर-अफगान वार्ता के परिणामस्वरूप अफगानिस्तान में हिंसा में कमी नहीं आई है, बल्कि इसके विपरीत हिंसा केवल बढ़ी है, खासकर एक मई के बाद यह हिंसा बढ़ी है और देश में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों, छात्राओं, अफगान सुरक्षा बलों, उलेमाओं, पत्रकारों, नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और युवाओं को निशाना बनाकर हमले हुए हैं।

जयशंकर ने कहा, ‘‘इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और विशेष रूप से, यह परिषद हिंसा में तत्काल कमी सुनिश्चित करने के लिए एक स्थायी और व्यापक संघर्ष विराम और नागरिकों के जीवन की सुरक्षा के लिए दबाव डाले।’’ उन्होंने कहा कि भारत अफगान सरकार और तालिबान के बीच वार्ता में तेजी लाने के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का समर्थन करता रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अफगान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत में तेजी लाने के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का समर्थन करता रहा है, जिसमें अंतर-अफगान वार्ता भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि यदि शांति प्रक्रिया को सफल होना है, तो यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि वार्ता करने वाले पक्ष अच्छी भावना के साथ इसमें शामिल रहें और इसका सैन्य समाधान खोजने का रास्ता बनाये और राजनीतिक समाधान तक पहुंचने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हों। उन्होंने कहा, ‘‘भारत वास्तविक राजनीतिक समाधान और अफगानिस्तान में एक व्यापक एवं स्थायी संघर्ष विराम की तरफ बढ़ाए गए किसी भी कदम का स्वागत करता है। हम संयुक्त राष्ट्र के लिए अग्रणी भूमिका का समर्थन करते हैं, क्योंकि इससे स्थायी और टिकाऊ समाधान निकालने में मदद मिलेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक समावेशी, अफगान-नेतृत्व वाली, अफगान-स्वामित्व वाली और अफगान-नियंत्रित शांति प्रक्रिया के लिए अपना समर्थन दोहराना चाहता हूं।’’ जयशंकर ने कहा कि भारत एक वैध लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से सामान्य स्थिति की बहाली सुनिश्चित करने के लिए अफगानिस्तान के साथ खड़ा है, जो अफगानिस्तान और क्षेत्र की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘भारत, अफगानिस्तान की सरकार और इसके लोगों के लिए एक शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और समृद्ध भविष्य, आतंक मुक्त माहौल के वास्ते उनकी आकांक्षाओं को साकार करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करना जारी रखेगा, ताकि अफगान समाज के सभी वर्गों के अधिकारों और हितों की रक्षा और बढ़ावा दिया जा सके।’’ उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान पर लगाए गए कृत्रिम पारगमन बाधाओं को हटाने की दिशा में काम करना चाहिए और बिना किसी बाधा के द्विपक्षीय और बहुपक्षीय पारगमन समझौतों के तहत अफगानिस्तान के लिए गारंटीकृत पूर्ण पारगमन अधिकार सुनिश्चित करना चाहिए।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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