अमेरिका ने भारत, जापान और जर्मनी को सुरक्षा परिषद का सदस्य बनाए जाने का समर्थन दोहराया

न्यूयॉर्क, अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के संबंध में नए प्रस्ताव पेश किए और भारत जापान तथा जर्मनी को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता देने के ‘‘दीर्घकालीन समर्थन’’ को दोहराया। ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च-स्तरीय कार्यक्रमों के लिए वैश्विक नेताओं के न्यूयॉर्क में इकट्ठा होने से कुछ ही दिन पहले संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने बृहस्पतिवार को कहा की कि अमेरिका अफ्रीकी देशों को सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्यता देने के अलावा दो अफ्रीकी देशों को स्थायी सदस्य बनाने का भी समर्थन करता है। उन्होंने विदेश संबंध परिषद के कार्यक्रम में बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र सुधार का भविष्य विषय पर चर्चा के दौरान यह भी घोषणा की कि अमेरिका छोटे द्वीपीय विकासशील देशों के लिए सुरक्षा परिषद में एक नयी सीट बनाने का समर्थन करता है। बातचीत के दौरान उनसे पूछा गया कि भारत जर्मनी और जापान को स्थायी सदस्य बनाने के लिए अमेरिका के दीर्घकालिक समर्थन का क्या अर्थ है इसपर उन्होंने कहा जी4 की जहां तक बात है तो हमने जापान जर्मनी और भारत के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है। ब्राजील के लिए स्पष्ट रूप से समर्थन व्यक्त किया गया। जी4 में ब्राजील जर्मनी भारत और जापान शामिल हैं। चारों देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए एक-दूसरे के दावों का समर्थन करते हैं। थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा “भारत दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश है और हम परिषद में उसके शामिल होने का वास्तव में दृढ़ता से समर्थन करते हैं। मुझे लगता है कि भारत को सदस्यता देने से इनकार करने का कोई आधार नहीं है लेकिन ऐसे लोग होंगे जो विभिन्न कारणों से विभिन्न देशों का विरोध करेंगे। हम आगे होने वाली बातचीत के दौरान इसपर भी बात करेंगे।” अफ्रीका के बारे में उन्होंने कहा कि तीन अफ्रीकी देश सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य हैं और अफ्रीकी देशों को अपनी बात रखने और आवाज उठाने का पूरा अवसर नहीं मिलता। थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा यही कारण है कि अमेरिका सुरक्षा परिषद में अफ्रीकी देशों के लिए अस्थायी सदस्यता के अलावा दो स्थायी सीटें सृजित करने का समर्थन करता है। उन्होंने कहा हमारे अफ्रीकी साझेदार ऐसा चाहते हैं और हमारा मानना है कि यह उचित है। क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

%d bloggers like this: