दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर जनता की अदालत लगाई। आप नेताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि “बेईमान होने के कलंक के साथ मैं जी भी नहीं सकता, काम तो दूर की बात है। अगर मैं बेईमान होता तो क्या मैं महिलाओं के लिए बिजली और बस यात्रा मुफ्त कर सकता था? क्या मैं सरकारी स्कूलों और अस्पतालों में सुधार कर सकता था?” “मैं कोई नेता नहीं हूं, मेरी चमड़ी मोटी नहीं है। मेरे लिए यह मायने रखता है। जब भाजपा वाले मुझ पर कीचड़ उछालते हैं, मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाते हैं तो मेरे लिए यह मायने रखता है। मैंने अपने जीवन में सम्मान कमाया है और आज जब उन्होंने मुझ पर आरोप लगाए तो मैंने अपनी गरिमा को सबसे ऊपर रखते हुए इस्तीफा दे दिया है और अब मैं अपना सरकारी घर भी छोड़ दूंगा। आज मेरे पास रहने के लिए घर भी नहीं है। मैंने 10 साल में लोगों का प्यार और आशीर्वाद कमाया है और इसी प्यार की वजह से कई लोग मुझे अपने घरों में रहने के लिए बुला रहे हैं। केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत से पांच सवाल भी पूछे जो इस प्रकार थे; “1. मोदी जी पार्टियों को तोड़ने और सरकारों को गिराने के लिए ईडी-सीबीआई का दुरुपयोग कर रहे हैं, क्या यह देश के लिए सही है? 2. मोदी जी ने देश के सभी भ्रष्ट नेताओं को भाजपा में शामिल कर लिया, जिन्हें उन्होंने खुद सबसे बड़ा भ्रष्ट बताया था। क्या आपने ऐसी भाजपा की कल्पना की थी? 3. क्या आप भाजपा के इन कदमों से सहमत हैं? 4 जेपी नड्डा ने कहा था कि अब भाजपा को आरएसएस की जरूरत नहीं है, अब बेटा अपनी मां (आरएसएस) को ही धमकाना शुरू कर दिया है। यह सुनकर आपको कैसा लगा? 5. आपने कानून बनाया था कि भाजपा के नेता 75 साल के बाद रिटायर हो जाएंगे, आडवाणी जी को रिटायर कर दिया गया। जो नियम आडवाणी जी पर लागू होता है, क्या वह मोदी जी पर लागू नहीं होना चाहिए? https://x.com/AamAadmiParty/status/1837785185980764462/photo/2