बेंगलुरु राजनीतिक नेता एवं चुनाव विश्लेषक योगेन्द्र यादव ने कहा कि लोकतंत्र के विफल होने का एक कारण यह है कि धर्मनिरपेक्ष उदारवादियों ने राष्ट्रवाद सभ्यतागत गौरव और धर्म को उन लोगों को सौंप दिया जो आज उनसे छेड़छाड़ कर रहे हैं। उन्होंने कहा ‘‘हमारे राष्ट्रीय आंदोलन ने हमारे अतीत से सर्वश्रेष्ठ को चुना और जो स्वीकार्य नहीं था उसे त्याग दिया। हमारे उदार शिक्षित आधुनिक संभ्रांत वर्ग ने हमारे अतीत से मुंह मोड़ लिया।’’ यादव बेंगलुरु स्थित विचार समूह ‘विस्तार’ द्वारा यहां आयोजित एक व्याख्यान कार्यक्रम में शनिवार को बोल रहे थे। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में उदारवादियों के ‘‘धर्म के प्रति अविश्वास’’ को रेखांकित किया। ‘स्वराज अभियान’ के संस्थापक सदस्य ने कहा ‘‘हमारे देश के सभी धर्मों में गहरी परंपराएं हैं। हमारे राष्ट्रीय आंदोलन के नेता इस तथ्य के प्रति सचेत थे कि उन्हें इसे संरक्षित करने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा ‘‘आजादी के बाद हमने अच्छे को बुरे से अलग करने की क्षमता खो दी और इसके साथ ही अपनी विश्वसनीयता भी खो दी।’’ यादव के अनुसार 21वीं सदी में राजनीतिक नेता अधिक चतुर हो गए हैं और प्रत्येक अपराध लोकतंत्र के नाम पर अपने तंत्रों का उपयोग करके किया जाता है। उन्होंने कहा ‘‘एक या दो मामलों को छोड़कर आप यह नहीं कह सकते कि उन्होंने जो चुनाव जीता वह अनुचित था। यह विधिवत स्थापित बहुमत का नियम है। हम इसका सामना करने से बचते हैं क्योंकि इससे हमें दुख होता है।’’ यादव ने कहा कि प्रतिस्पर्धी चुनावी राजनीति की दुनिया में प्रवेश द्वार इतना ऊंचा रखा गया है कि राजनीतिक विकल्प के लिए प्रयास करना लगभग असंभव है।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया फोटो क्रेडिट : Wikimedia common