अमरावती, तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में पशुओं की चर्बी होने से उपजे विवाद को लेकर युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के वरिष्ठ नेता वाई.वी. सुब्बा रेड्डी की याचिका पर शुक्रवार को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय 25 सितंबर को सुनवाई करने को सहमत हो गया। सुब्बा रेड्डी ने पूर्ववर्ती वाईएसआर कांग्रेस सरकार के शासन के दौरान तिरुपति लड्डू बनाने में पशुओं की चर्बी के कथित इस्तेमाल से संबंधित मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए शुक्रवार को एक ‘लंच मोशन’ याचिका दायर करने की अदालत से अनुमति मांगी। ‘लंच मोशन’ याचिका का उपयोग उन मामलों के लिए किया जाता है जिनमें तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। इस तरह की याचिका पर उसकी बारी आने से पहले सुनवाई की जाती है। सुब्बा रेड्डी की ओर से दलील पेश कर रहे वकील पी सुधाकर रेड्डी ने कहा कि हालांकि अदालत ने कहा कि वह बुधवार को याचिका पर सुनवाई करेगी। उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया ‘‘इसकी (मंदिर के लड्डुओं में पशुओं की चर्बी होने के आरोप) जांच उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश से कराई जाए या उच्च न्यायालय एक कमेटी गठित करे या इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए।’’ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सरकार के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता रहे सुधाकर रेड्डी ने कहा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति (चंद्रबाबू नायडू) को बिना सत्यापन के आरोप नहीं लगाने चाहिए क्योंकि इससे करोड़ों हिंदू श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत होंगी। तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख एवं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) विधायक दल की एक बैठक को संबोधित करते हुए दावा किया था कि पिछली वाईएसआर कांग्रेस सरकार ने श्री वेंकटेश्वर मंदिर को भी नहीं बख्शा और लड्डू बनाने में घटिया सामग्री एवं पशुओं की चर्बी का इस्तेमाल किया। सुधाकर रेड्डी ने इसे भगवान के नाम पर राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश बताते हुए कहा कि सत्तारूढ़ तेदेपा के प्रमुख राजनीतिक छींटाकशी के लिए इसका सहारा ले रहे हैं। पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता ने दावा किया कि मुख्यमंत्री नायडू समाज में धूमिल होती अपनी छवि को बचाने के लिए भगवान का इस्तेमाल कर रहे हैं। सुधाकर रेड्डी ने कहा जब आपने आरोप लगाया है तो हम चाहते हैं कि सच्चाई सामने आए… आप छींटाकशी करने के लिए भगवान का इस्तेमाल नहीं कर सकते। उनके (चंद्रबाबू नायडू) अधीन काम करने वाली जांच एजेंसी सच सामने नहीं ला सकती।’’क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common