नयी दिल्ली, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में कथित रूप से बड़े पैमाने पर खनन को लेकर केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफएंडसीसी) और अन्य से जवाब मांगा है।
बागेश्वर में कथित रूप से बड़े पैमाने पर खनन के कारण जोशीमठ जैसी स्थिति पैदा हो गई है जहां घरों मंदिरों और सड़कों में दरारें आ गई थी।
हरित निकाय ने एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि कई शिकायतें किए जाने के बावजूद क्षेत्र में खनन जारी है जिसके कारण पूरा क्षेत्र खतरे में पड़ गया और सुरक्षा को लेकर कोई लेखापरीक्षा नहीं की गई थी और न ही क्षति का आकलन करने के लिए भूवैज्ञानिक विशेषज्ञों की मदद ली गई।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने हाल में दिए आदेश में कहा ‘‘यह समाचार पर्यावरण मानदंडों के अनुपालन को लेकर एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाता है।’’
इस मामले में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के देहरादून क्षेत्रीय कार्यालय बागेश्वर के जिला मजिस्ट्रेट उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रतिवादी या पक्षकार बनाया गया है।
हरित पैनल ने कहा ‘‘उपर्युक्त प्रतिवादियों को अगली सुनवाई की तारीख (11 दिसंबर) से कम से कम एक सप्ताह पहले अधिकरण के समक्ष हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब/प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करें।’’
क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common