देहरादून, उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में देवीकुंड नाम के एक तालाब के किनारे एक स्वयंभू बाबा द्वारा अवैध रूप से बनाई गयी संरचना को ढहा दिया गया। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि देवीकुंड तालाब 12 000 फुट से अधिक की उंचाई पर स्थित सुंदरढूंगा हिमनद पर बना हुआ है। कपकोट के उपजिलाधिकारी अनुराग आर्य ने बताया कि पुलिस राज्य आपदा प्रतिवादन बल और वनकर्मियों की एक संयुक्त टीम अत्यंत विषम रास्ते से होते हुए दो दिन की पैदल यात्रा कर संरचना तक पहुंची और शनिवार को उसे ढहा दिया गया। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह संरचना मंदिर नहीं थी जैसा कि मीडिया के एक वर्ग में बताया जा रहा था। उन्होंने बताया कि यह साधारण सी एक कमरे की संरचना थी। आर्य ने बताया कि इस संरचना का निर्माण चैतन्य आकाश नाम के एक स्वयंभू बाबा ने निकटवर्ती गांवों के निवासियों को यह समझाने के बाद किया था कि उसे स्वप्न में ऐसा करने का दैवीय आदेश मिला है। उन्होंने बताया “ बाबा का इतिहास भी संदिग्ध है। यहां आने से पहले उन्हें द्वाराहाट सहित कई स्थानों से बाहर निकाला गया था।” उन्होंने बताया कि जिस समय संरचना को ढहाया गया उस समय उसके अंदर कोई भी नहीं था। अधिकारी ने बताया कि बाबा देवीकुंड का प्रयोग तरणताल की तरह नहाने के लिए करता था जिससे लोगों को परेशानी थी। उन्होंने बताया कि आसपास के गांवों के लोगों ने इस पर आपत्ति जताई और जुलाई में प्रशासन से शिकायत की। स्थानीय लोगों 12 वर्ष में एक बार होने वाली ‘नंदा राजजात’ यात्रा के दौरान इस कुंड में अपने देवी-देवताओं को स्नान करवाने आते हैं। उपजिलाधिकारी ने बताया कि इस संबंध में कार्रवाई करने में दो माह से भी अधिक का समय लग गया क्योंकि संरचना भौगोलिक रूप से कठिन स्थान पर बनाई गयी थी। उन्होंने बताया कि जुलाई में उस स्थान तक पहुंचने का प्रयास किया गया था लेकिन खराब मौसम के कारण टीम को रास्ते से ही लौटना पड़ा था। सुंदरढूंगा हिमनद नंदादेवी ‘बायोस्फीयर रिजर्व’ क्षेत्र के अंतर्गत आता है जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और इस स्थान पर निर्माण पूरी तरह से प्रतिबंधित है।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common