उम्मीद है कि उच्च न्यायालय सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर नौ जुलाई को फैसला सुनाएगा: उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि दिल्ली उच्च न्यायालय धनशोधन के एक मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता एवं पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख पर फैसला सुनाएगा। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि जमानत के मामलों को अनावश्यक रूप से स्थगित नहीं किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने जैन की जमानत याचिका पर सुनवाई छह सप्ताह के लिए स्थगित करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा ‘‘यह कहने की जरूरत नहीं है कि जमानत के मामलों को अनावश्यक रूप से स्थगित नहीं किया जाना चाहिए। इसलिए हमें उम्मीद है और भरोसा है कि उच्च न्यायालय सुनवाई की अगली तारीख़ पर अपना फ़ैसला सुनाएगा।’’ उच्च न्यायालय ने जैन की ज़मानत याचिका पर सुनवाई नौ जुलाई को तय की है। सुनवाई के दौरान जैन की ओर पेश से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि उन्होंने लंबे स्थगन आदेश को चुनौती दी है। सिंघवी ने कहा कि इस मामले से कानून का एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ है कि क्या जांच एजेंसी द्वारा अधूरे आरोपपत्र दाखिल करके आरोपी के ‘डिफॉल्ट’ जमानत के अधिकार को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसी तरह का एक मामला शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष विचाराधीन है और उन्होंने अवकाशकालीन पीठ से आग्रह किया कि जैन की जमानत याचिका को भी इसके साथ संलग्न कर दिया जाए। न्यायमूर्ति मिश्रा ने सिंघवी से कहा कि पीठ में दो न्यायाधीश हैं इसलिए वह इस मुद्दे पर निर्णय नहीं कर सकती जो तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष विचाराधीन है। पीठ ने कहा ‘‘इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय को निर्णय लेने दीजिए फिर हम इस पर विचार करेंगे। उच्च न्यायालय तथ्यात्मक पहलू को ध्यान में रखते हुए मामले के गुण-दोष पर विचार करेगा।’’ पीठ ने यह भी कहा कि संबंधित आदेश केवल एक पंक्ति का स्थगन आदेश है। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ एक कानूनी मुद्दे पर विचार कर रही है और दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा इस पर विचार करना उचित नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने कहा ‘‘यह याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ है जिसमें जमानत याचिका पर सुनवाई नौ जुलाई तक स्थगित कर दी गई है। सिंघवी ने कहा है कि उच्च न्यायालय के निर्णय को नियंत्रित करने वाला कानून का प्रश्न इस न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ के ध्यान में है इसलिए यह उचित है कि इस मामले को उस मामले के साथ जोड़ दिया जाए।’पीठ ने कहा ‘‘हमें इस दलील में कोई दम नहीं दिखता क्योंकि उच्च न्यायालय मामले का फैसला अपने गुण-दोष के आधार पर करेगा और यदि याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय के आदेश से असंतुष्ट है तो वह इसे चुनौती दे सकता है।’’ दिल्ली उच्च न्यायालय ने 28 मई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जैन की याचिका पर जवाब देने और उसे मामले पर एक स्थिति रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था। अदालत ने जेल प्राधिकारियों से जैन का रिकॉर्ड भी मांगा था और मामले पर अगली सुनवाई के लिए नौ जुलाई की तारीख तय की थी। जैन पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर उनसे जुड़ी चार कंपनियों के ज़रिए धन शोधन किया। उन्होंने निचली अदालत के 15 मई के आदेश को चुनौती दी है जिसके तहत उन्हें मामले में ‘डिफॉल्ट’ जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। जैन ने दलील दी है कि ईडी वैधानिक अवधि के भीतर सभी मामलों में जांच पूरी करने में विफल रही और अभियोजन शिकायत (आरोप पत्र) जो अधूरी थी उसे दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 (2) के प्रावधानों के तहत ‘डिफॉल्ट’ जमानत के उनके अधिकार से वंचित करने के प्रयास में दाखिल किया गया था। ईडी ने भ्रष्टाचार की रोकथाम अधिनियम के तहत 2017 में जैन के खिलाफ दर्ज केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक प्राथमिकी पर आधारित धन शोधन के मामले में 30 मई 2022 को उन्हें गिरफ्तार किया था। उन्हें निचली अदालत ने सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में छह सितंबर 2019 को नियमित जमानत दे दी थी।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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