कार्बन उत्सर्जन में कटौती के अत्याधुनिक उपाय तलाशने में लागत बड़ी बाधा

सिडनी, संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन दुनिया को उन प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन का मौका देता है, जो वैश्विक तापमान में वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित कर सकती हैं।  कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कटौती संभावित समाधान के रूप में कॉप28 के एजेंडे में शामिल है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल ने वैश्विक रणनीति के प्रमुख घटक के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में कमी लाने पर जोर दिया है।

             पैनल मानता है कि कार्बन उत्सर्जन के स्रोतों में कमी लाना जरूरी है, लेकिन ग्रीनहाउस गैसों के कुछ बड़े स्रोत, मसलन-परिवहन और कृषि क्षेत्र में इसके स्तर को घटाना काफी मुश्किल साबित हो सकता है।

             कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में कमी लाने के दो प्रमुख उपाय हैं। पहला-प्राकृतिक कार्बन सिंक (कार्बन युक्त रासायनिक यौगिक को संग्रहित करने और वातावरण से हटाने वाले उपाय) को बढ़ावा देना, जिसमें मिट्टी में कार्बन का भंडारण करना, अधिक पेड़ लगाना या समुद्र आधारित कार्बन सिंक में वृद्धि शामिल है। दूसरा-‘डायरेक्ट एयर कैप्चर’ जैसी प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करना, जो सीधे वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को हटा देती हैं। इससे विनाशकारी जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए आवश्यक महत्वाकांक्षी उत्सर्जन कटौती लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिल सकती है।

             ‘डायरेक्ट एयर कैप्चर’ तकनीक में हवा को एक फिल्टर से गुजारा जाता है, जो नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन जैसी वायुमंडलीय गैसों और वाष्प से कार्बन डाइऑक्साइड को हटा देता है। इस प्रक्रिया के बाद हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता बहुत कम हो जाती है और जो कार्बन डाइऑक्साइड एकत्र होती है, उसे हटाने या अधिक प्रसंस्कृत करने की कवायद शुरू की जाती है।

             ‘डायरेक्ट एयर कैप्चर’ तकनीक कार्बन को सीधे हासिल कर लेने और संग्रहित करने की प्रक्रिया से अलग है। दरअसल, कार्बन को लेने और संग्रहित करने की प्रक्रिया में बिजली संयंत्रों जैसे बड़े औद्योगिक स्रोतों से उत्सर्जित कार्बन को वायुमंडल में प्रवेश करने से पहले ही सीधे लेने पर जोर दिया जाता है। इसके बाद कार्बन डाइऑक्साइड को भूगर्भिक संरचनाओं में ले जाकर संग्रहित किया जाता है, ताकि इसे ग्रीनहाउस गैस संचय में योगदान देने से रोका जा सके। इसके विपरीत, ‘डायरेक्ट एयर कैप्चर’ उन स्रोतों को लक्षित करने की सुविधा प्रदान करता है, जिनसे उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में कमी लाना बेहद मुश्किल माना जाता है।

             हालांकि, प्राकृतिक हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की बेहद कम मात्रा होने के कारण ‘डायरेक्ट एयर कैप्चर’ का इस्तेमाल करना कठिन है। प्राकृतिक हवा में कार्बन डाइऑक्साइड के अणुओं की मात्रा महज 0.04 फीसदी होती है, जबकि जिन क्षेत्रों में कार्बन को कैद और संग्रहित करने की प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है, उनमें यह स्तर अपेक्षाकृत काफी अधिक यानी 10 से 15 प्रतिशत होता है।

             यह एक ऐसा कारक है, जिससे न्यूनतम ऊर्जा के साथ-साथ व्यावसायिक रूप से उपलब्ध सामग्री का इस्तेमाल करते हुए अत्यधिक प्रतिवर्ती तरीके से चुनिंदा रूप से कार्बन डाइऑक्साइड को कैद करने वाली रासायनिक प्रक्रिया को तैयार करना बेहद कठिन हो जाता है।  ‘डायरेक्ट एयर कैप्चर’ के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के लिए अमेरिका ने 3.5 अरब डॉलर के सरकारी अनुदान की पेशकश की है, जबकि ब्रिटेन ने 12.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई है।

             पिछले कुछ वर्षों से कई वाणिज्यिक ‘डायरेक्ट एयर कैप्चर’ संयंत्र काम कर रहे हैं, लेकिन इनका संचालन अपेक्षाकृत महंगा है। इन संयंत्रों के जरिये हवा से हर एक टन कार्बन डाइऑक्साइड हटाने पर 600 से 1,000 अमेरिकी डॉलर के बीच खर्च आता है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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