कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर नीतीश कुमार सरकार और राजभवन के बीच विवाद गहराया

पटना, विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर के सचिवालय द्वारा विज्ञापन जारी किए जाने के बाद इसी नियुक्ति के संबंध में बिहार शिक्षा विभाग ने आवेदन आमंत्रित किए हैं जिससे इस मुद्दे पर नीतीश कुमार नीत राज्य सरकार और राजभवन के बीच जारी विवाद और गहरा हो गया है। कुलाधिपति राज्यपाल अर्लेकर के सचिवालय ने पहले पटना विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (दरभंगा), कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (मुजफ्फरपुर), जयप्रकाश विश्वविद्यालय (छपरा), बीएन मंडल विश्वविद्यालय (मधेपुरा) और आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी (पटना) के कुलपतियों की नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किया था। वहीं बिहार के शिक्षा विभाग ने मंगलवार को बीएन मंडल विश्वविद्यालय (मधेपुरा) और आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी (पटना) को छोड़कर बाकी पांचों विश्वविद्यालयों के कुलपति पर पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे। दोनों विज्ञापनों में इन पदों के लिए आवेदन प्रस्तुत करने के लिए अंतिम तिथि को छोड़कर नियम और शर्तें लगभग समान हैं। कुलाधिपति सचिवालय के एक परिपत्र के अनुसार, सात विश्वविद्यालयों में पद के लिए आवेदन प्रस्तुत करने की तारीख 24 से 27 अगस्त के बीच है, जबकि शिक्षा विभाग के विज्ञापन में अंतिम तिथि 13 सितंबर है। नीतीश कुमार नीत राज्य की महागठबंधन सरकार और राजभवन के बीच पहले से ही मुजफ्फरपुर विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) और प्रो-वीसी के बैंक खातों को फ्रीज किए जाने को लेकर विवाद चल रहा है। बिहार के शिक्षा विभाग ने 17 अगस्त को अपने अधिकार क्षेत्र के तहत शैक्षणिक संस्थानों के निरीक्षण के दौरान कथित विफलता और विभाग द्वारा बुलाई गई समीक्षा बैठक में भाग नहीं लेने के लिए कुलपति और प्रो-वीसी का वेतन रोक दिया था। विभाग ने शीर्ष अधिकारियों और विश्वविद्यालय के खातों को फ्रीज करने का भी आदेश दिया। शिक्षा विभाग ने बाद में राजभवन के निर्देश के बावजूद उनके बैंक खातों को फ्रीज करने का आदेश वापस नहीं लिया। एक दिन बाद, राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंगथु ने संबंधित बैंक को एक पत्र भेजा, जिसमें तत्काल प्रभाव से दोनों अधिकारियों और विश्वविद्यालय के खातों को डीफ्रीज़ करने का निर्देश दिया गया। इस कारण सत्तारूढ़ महागठबंधन और विपक्षी दल भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी चल रहे हैं। राज्यपाल के समर्थन में आते हुए बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘राज्यपाल के कार्यालय ने कुलपति की नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं और जब नियत तारीख खत्म होने वाली थी, तो राज्य शिक्षा विभाग ने कुलपति के उन्हीं पदों पर नियुक्ति की सूचना जारी की है।’उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह स्पष्ट है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जानबूझकर राज्य में राज्यपाल सह कुलाधिपति साथ टकराव उत्पन्न करना चाहते हैं। मूल रूप से, नीतीश जी चाहते हैं विश्वविद्यालय और कॉलेज सरकारी स्कूलों की तरह बदहाली की कगार पर पहुंच जाएं और उनके शिक्षकों के साथ सचिवालय के कर्मचारियों की तरह व्यवहार किया जाए।’’ भाजपा नेता ने आरोप लगाया, ‘‘बिहार सरकार पहले से ही नई शिक्षा नीति को लागू करने में विफल रही है, जो बिहार के छात्रों को अन्य राज्यों में विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने के लिए मजबूर कर रही है। त्रासदी यह है कि 1990 से 2005 तक यही स्थिति लालू प्रसाद कार्यकाल के दौरान रही थी और अब 2005 से आज तक नीतीश कुमार बिहार में उच्च शिक्षा के पतन के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं।’’ राज्यपाल के कदम पर टिप्पणी करते हुए राजद (राष्ट्रीय जनता दल) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘कुलपति की नियुक्ति के लिए राज्य शिक्षा विभाग ने कानूनी तौर पर कदम उठाए हैं। भाजपा को कुलपतियों की नियुक्ति के मामले का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए… उन्हें (भाजपा नेताओं) इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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