केंद्र सेना की पदोन्नति सूची में अधिकारियों को शामिल करने की प्रक्रिया स्पष्ट करे :न्यायालय

नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह सेना में पदोन्नति संबंधी सूची में पुरुष एवं महिला अधिकारियों को शामिल किए जाने की प्रक्रिया स्पष्ट करे। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की स्थिति के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

इससे पहले महिला सैन्य अधिकारियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी ने महिला अधिकारियों को सूची में शामिल करने में भेदभाव होने का आरोप लगाया।

उन्होंने पिछले साल तीन नवंबर को शीर्ष अदालत द्वारा पारित एक पूर्व आदेश का हवाला दिया और कहा कि इसमें उन सभी महिला अधिकारियों पर विचार की आवश्यकता है, जिन पर पहले के विशेष चयन बोर्ड 3बी (कर्नल के रूप में पदोन्नति के लिए) द्वारा विचार किया गया है।

वेंकटरमणी ने कहा कि सूची में शामिल किए जाने की अवधारणा एक ही बैच के अधिकारियों के बीच तुलनात्मक योग्यता पर आधारित है।

इसके समर्थन में, उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा दायर नीति दस्तावेज पर भरोसा जताया और कहा कि जिन अधिकारियों को पहले ही पैनलबद्ध किया जा चुका है, उनके बारे में छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। हालांकि, जब नया विशेष चयन बोर्ड बुलाया गया है, तो पैनल में शामिल अधिकारियों और अन्य अधिकारियों का तुलनात्मक अध्ययन आवश्यक है।

अहमदी ने उनकी दलीलों का विरोध किया और कहा कि पुरुष अधिकारियों को पैनलबद्ध करने के लिए इसी तरह की कवायद नहीं की गई थी।

पीठ ने दलीलों पर गौर करते हुए मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च के लिए सूचीबद्ध की और अटॉर्नी जनरल से एक हलफनामा दाखिल करने को कहा।

शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि महिला अधिकारियों को कर्नल के रूप में पैनलबद्ध करने से इनकार करने का सेना का दृष्टिकोण ‘‘मनमाना’’ था, और उसने अधिकारियों को उनकी पदोन्नति के लिए एक पखवाड़े के भीतर विशेष चयन बोर्ड को फिर से गठित करने का निर्देश दिया था।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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