अरविंद केजरीवाल द्वारा 2 दिन बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा की खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि केजरीवाल ने स्वीकार कर लिया है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप इतने गंभीर हैं कि वे मुख्यमंत्री पद पर नहीं रह सकते।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी और दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि केजरीवाल देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्हें अपनी ही सरकार के अधिकार क्षेत्र में ‘बड़े धूमधाम’ से जेल भेजा गया है…सिर्फ वे ही नहीं, बल्कि उनके दो मंत्री भी जेल में बंद हैं! इसके बाद भी उन्होंने इस्तीफा देना उचित नहीं समझा क्योंकि ‘नैतिकता की नई राजनीति’ स्थापित करने वालों ने वास्तव में नैतिकता का एक नया निम्न स्तर स्थापित किया है।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ‘अरविंद केजरीवाल देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बन गए हैं जिन पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया है कि आप दफ्तर नहीं जा सकते, फाइल पर दस्तखत नहीं कर सकते, जिस मामले में आप आरोपी हैं उस पर बयान नहीं दे सकते। भारत के इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जहां किसी मुख्यमंत्री पर इस तरह के प्रतिबंध लगाए गए हों… फिर उन्हें 48 घंटे की क्या जरूरत है? यह कौन सा निजी काम है? जब केजरीवाल जी ने इस्तीफा मांगा तो हम कह सकते हैं कि यह उनके अपराध की स्वीकारोक्ति थी। यानी आपने स्वीकार किया कि आपके खिलाफ आरोप इतने गंभीर हैं कि आप इस पद पर नहीं रह सकते।’ दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली का एक भी ऐसा विभाग नहीं रहा जहां अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार न किया हो। सचदेवा ने कहा, ‘8 लाख के पर्दे और 2 करोड़ के बिस्तर पर सोने वाले अरविंद केजरीवाल… लोग आपके शीश महल को कैसे भूलेंगे… जिसे आपने लोगों की गाढ़ी कमाई से बनाया है।’
सचदेवा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल द्वारा किए गए ईमानदारी के दावे बिल्कुल खोखले हैं। ‘इस्तीफा देने का कदम हताशा भरा लगता है, जवाबदेही वाला नहीं। सचदेवा ने कहा, ‘‘उन्हें (केजरीवाल को) अपने मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर देना चाहिए और भ्रष्टाचार के आरोपों का पारदर्शी तरीके से समाधान करना चाहिए।’’
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