कोवैक्स 2021 के आपूर्ति लक्ष्य से बहुत पीछे – टीका राष्ट्रवाद के खिलाफ लड़ाई में क्या गलत हुआ?

मैनचेस्टर (ब्रिटेन), दुनियाभर में कोविड-19 रोधी टीके साझा करने वाले कार्यक्रम कोवैक्स के लिए ताजा आपूर्ति पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि कम आय वाले देशों में टीकाकरण की दर तेज करने की संभावना नहीं दिखायी देती। कोवैक्स ने अनुमान जताया कि वह 2021 के अंत तक टीकों की 1.425 अरब खुराक आवंटित कर देगा जो इस साल की शुरुआत में तय दो अरब खुराकों के लक्ष्य से काफी कम है।

कोवैक्स के जरिए 15 सितंबर 2021 तक कोविड-19 रोधी टीकों की सिर्फ 28.05 करोड़ खुराकें दी गयी। कई उच्च आय वाले देश बूस्टर खुराक देने और बच्चों को टीका लगाने की शुरुआत कर रहे हैं जबकि कई कम आय वाले देशों ने अभी अपने वयस्कों को पहली खुराक भी नहीं दी है। टीकों में इस असमानता के खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं।

कोवैक्स के 2021 के लिए अपने शुरुआती लक्ष्य को पूरा न करना हैरानी की बात नहीं है। इस पहल के तहत टीकों की सबसे ज्यादा आपूर्ति करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ ने इसकी घोषणा के तुरंत बाद दो अरब के आंकड़ें पर शंका जताते हुए कहा था कि इस लक्ष्य तक पहुंचने में छह और महीने का वक्त लगेगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक तेद्रोस अदहानोम गेब्रेयेसस ने कहा कि कोवैक्स को वित्तीय सहयोग मुहैया कराने के बावजूद दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने इसे कमतर आंका है।

हालांकि सबसे बड़ा झटका मार्च में लगा जब भारत से कोविड-19 रोधी टीकों का निर्यात निलंबित हो गया जो दुनिया में कोविड-19 रोधी टीके का सबसे बड़ा निर्माता है। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण टीकों का निर्यात बंद कर दिया गया। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को 2021 में एक अरब से अधिक खुराकें देनी थीं। अभी तक निर्यात बहाल नहीं हुआ है। भारत ने कोवैक्स को केवल दो करोड़ खुराकें ही दी हैं।

कम आय वाले देशों के लिए अब आगे क्या?

कोवैक्स ने अपने ताजा पूर्वानुमान में कहा कि वह कोविड-19 रोधी टीकों की आपूर्ति को लेकर ‘‘भारत सरकार से बातचीत कर रहा है।’’ अमेरिका भी भारत से कोवैक्स को टीकों का निर्यात बहाल करने को कह रहा है लेकिन इसके संकेत सकारात्मक नहीं है। भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से हाल में कहा गया कि भारत तब तक टीकों की खुराक साझा नहीं करेगा जब तक कि देश में सभी वयस्कों को टीका नहीं लग जाता।

टीकाकरण पर भारत के तेजी से प्रगति करने के बावजूद केवल 19 करोड़ 60 लाख लोगों ने ही टीके की दोनों खुराक ली है। भारत में सभी वयस्कों को 2021 के अंत तक टीके की दोनों खुराक देने का लक्ष्य है। देश में वयस्कों की करीब एक अरब आबादी है।

कोवैक्स ने दानदाताओं और निर्माताओं से भी अनुरोध किया है और उन देशों से भी अनुरोध किया है जिन्होंने अपनी आबादी के बड़े हिस्से को टीके की खुराक दे दी है। टीके दान में देने के वादे अभी तक पूरे होते दिखायी नहीं दिए हैं।

जून में जी7 देशों ने ‘‘गरीब देशों’’ को एक अरब खुराक दान देने का संकल्प लिया था जिनमें से ब्रिटेन ने 10 करोड़ खुराक देने का वादा किया था। अभी तक ब्रिटेन ने केवल 51 लाख खुराकें ही दी हैं। साथ ही ब्रिटेन ने कोवैक्स से टीके लिए हैं और उसे ऐसा करने का अधिकार है। जून में ही ब्रिटेन ने कोवैक्स से 5,39,000 खुराकें ली जो उसी महीने कोवैक्स द्वारा अफ्रीका भेजी गयी खुराकों से दोगुनी से ज्यादा हैं।

बढ़ती असमानता :

कोवैक्स में कुछ ही देशों का कब्जा है और अब वे अपने टीकाकरण कार्यक्रमों में बूस्टर खुराक देने की शुरुआत कर रहे हैं जिससे स्थिति और विकट हो सकती है। ब्रिटेन, अमेरिका और इजराइल ने बूस्टर खुराक देने का फैसला किया है।

अगस्त की शुरुआत में डब्ल्यूएचओ बूस्टर खुराक पर सितंबर के अंत तक रोक लगाने का आह्वान करते हुए दलील दी थी कि बूस्टर खुराक देने से ‘‘असमानताएं बहुत ज्यादा बढ़’’ जाएंगी। हाल में बूस्टर खुराक देने पर 2021 तक रोक लगाने का आह्वान किया गया लेकिन यह ब्रिटेन को बूस्टर कार्यक्रम शुरू करने से रोक नहीं सका।

दुनिया के लिए प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं। ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका टीके की मुख्य डेवलेपर सारा गिलबर्ट ने कहा कि टीके उन देशों को वितरित किए जाने चाहिए जहां टीकाकरण की दर कम है क्योंकि ‘‘पहली खुराक देने से ज्यादा असर पड़ेगा।’’ टीका न लगवाने वाली आबादी को खुराक देने से उन लोगों को बूस्टर खुराक देने के मुकाबले अधिक जिंदगियां बच सकती हैं जो पहले ही टीके की खुराक ले चुके हैं।

डब्ल्यूएचओ के आपात स्वास्थ्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक माइक रयान ने कहा कि बूस्टर खुराक देना उन लोगों को अतिरिक्त जीवन रक्षक जैकेट देने के बराबर है जिनके पास पहले से ही जैकेट है जबकि जिनके पास नहीं है उन्हें डुबा देना है। डब्ल्यूएचओ के अफ्रीका निदेशक मत्शिदिशो मोएती ने कहा कि बूस्टर कार्यक्रम ‘‘टीका समानता का मजाक बनाना है।’’

टीकाकरण कार्यक्रमों में बच्चों को शामिल करना कोवैक्स की टीकों की आपूर्ति की संभावनाओं को कम कर रहा है। ब्रिटेन में सितंबर के अंत से पहले 12 से 15 साल के बच्चों का टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होना है। गिलबर्ट और माइक रयान दोनों ने कहा कि कम आय वाले देशों के लोगों को इन खुराकों की अधिक आवश्यकता है।

तेद्रोस ने जनवरी में आगाह किया था कि अमीर देशों द्वारा टीकों की जमाखोरी की भयावह नैतिक विफलता की जिम्मेदारी हम पर है। ऐसा टीका राष्ट्रवाद नैतिक रूप से न केवल हमारे लिए समस्या खड़ी करने वाला है बल्कि इससे दुनिया के कुछ हिस्सों में महामारी भी फैलेगी, जिससे कोरोना वायरस के खतरनाक स्वरूपों के पैदा होने का खतरा होगा और इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने की प्रक्रिया रुक सकती है।

कोवैक्स को जल्द से जल्द बड़ी मात्रा में टीकों की खुराकों की आवश्यकता है। उच्च आय वाले देशों में टीकों की दोनों खुराक लेने वाले लोगों को भूल जाइए, इनके बजाय कोवैक्स को बूस्टर की आवश्यकता है।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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