गोवा: कोयला प्रबंधन कंपनियों पर बकाये हरित उपकर को लेकर विपक्ष ने साधा निशाना

पणजी,  गोवा में विपक्षी दलों ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा में प्रमोद सावंत नीत सरकार से कोयला प्रबंधन कंपनियों पर करोड़ों रुपये के बकाए हरित उपकर को लेकर सवाल किया और आरोप लगाया कि सरकार ‘बड़ी मछलियों’ से पैसे नहीं वसूल रही है।

            नेता प्रतिपक्ष यूरी अलेमाओ ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रश्नकाल में बताया कि राज्य सरकार ‘गोवा सेस ऑन प्रोडक्ट एंड सबस्टेंस कॉजिंग पॉल्यूशन’ (ग्रीन सेस) अधिनियम  2013 के तहत अनुमानित राजस्व एकत्र करने में विफल रही है। यह प्रश्न अलेमाओ के साथ आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक वेंजी वीगास और कांग्रेस विधायक अल्टोन डी कोस्टा ने संयुक्त रूप से सदन में रखा।

            अलेमाओ ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने पेट्रोकेमिकल कंपनियों से हरित उपकर वसूला है  जबकि कोयला प्रबंधन कंपनियां बकाया राशि दबा कर बैठी हुई हैं। उन्होंने कहा  “यह एक बड़ा घोटाला है  क्योंकि राज्य सरकार बड़ी कंपनियों से उपकर वसूल नहीं कर रही है।”

            अलेमाओ ने कहा कि राज्य सरकार मूल दस्तावेजों की जांच किए बिना कंपनियों द्वारा दिए गए आयात के विवरण के अनुसार उपकर वसूल रही है।उन्होंने कहा कि कुल 352 करोड़ रुपये के बकाये हरित शुल्क में से केवल 194 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कुल राशि का 47 करोड़ रुपये कोयला और कोक कंपनियों द्वारा तथा शेष राशि पेट्रोकेमिकल कंपनियों द्वारा चुकाई गई है।

            विगास ने सदन में कहा कि हरित उपकर के रूप में एकत्र की गई राशि का उपयोग प्रदूषण के मुद्दों को कम करने के लिए किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने सवाल का जवाब देते हुए विधानसभा को बताया कि हरित उपकर का मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कंपनियों से उपकर की 237 करोड़ रुपये की राशि में से 50 प्रतिशत शुल्क को एकत्र कर लिया है  जबकि 114 करोड़ रुपये बकाया हैं।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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