नयी दिल्ली, कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड योजना पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यह निर्णय नोट के मुकाबले वोट की ताकत को और मजबूत करेगा। पार्टी ने साथ ही यह आरोप भी लगाया कि इस फैसले से इस बात पर मुहर लग गई है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुनावी बॉण्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बांड योजना को सूचना का अधिकार कानून और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत के दिन कांग्रेस पार्टी ने इसे अपारदर्शी और अलोकतांत्रिक बताया था। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने अपने 2019 के घोषणापत्र में मोदी सरकार की इस संदिग्ध योजना को खत्म करने का वादा किया।”
उन्होंने कहा, “हम आज उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं जिसने मोदी सरकार की इस ‘काला धन रूपांतरण’ योजना को “असंवैधानिक” बताते हुए रद्द कर दिया है। हमें याद है कि कैसे मोदी सरकार, पीएमओ और वित्त मंत्रालय ने भाजपा का खजाना भरने के लिए हर संस्थान – आरबीआई, चुनाव आयोग, संसद और विपक्ष पर बुलडोजर चला दिया था।”कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि इस योजना के तहत 95 प्रतिशत चंदा भाजपा को मिला।” उनका कहना था, “हमें उम्मीद है कि मोदी सरकार भविष्य में ऐसे विचारों का सहारा लेना बंद कर देगी और उच्चतम न्यायालय की बात सुनेगी ताकि लोकतंत्र, पारदर्शिता और समान अवसर कायम रहे।”
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा ने चुनावी बॉण्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “नरेन्द्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है। भाजपा ने चुनावी बॉण्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था। आज इस बात पर मुहर लग गई है।” पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ” उच्चतम न्यायालय ने मोदी सरकार की बहुप्रचारित चुनावी बॉन्ड योजना को संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ-साथ भारत के संविधान दोनों का उल्लंघन माना है। लंबे समय से प्रतीक्षित फैसला बेहद स्वागत योग्य है और यह नोट पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा। “
उन्होंने किसानों के ‘दिल्ली मार्च’ आंदोलन की पृष्ठभूमि में आरोप लगाया कि मोदी सरकार ‘चंदादाताओं’ को विशेषाधिकार देते हुए अन्नदाताओं पर हर तरह का अत्याचार कर रही है। रमेश ने कहा, “हमें यह भी उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय इस बात पर ध्यान देगा कि चुनाव आयोग लगातार वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के मुद्दे पर राजनीतिक दलों से मिलने से भी इनकार कर रहा है। यदि मतदान प्रक्रिया में सब कुछ पारदर्शी है तो फिर इतनी जिद क्यों?”कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक ठहराने का उच्चतम न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक एवं स्वागतयोग्य है। “
उन्होंने दावा किया, “चुनावी बॉन्ड ने भ्रष्टाचार को बढ़ाने का काम किया। इसने राजनीतिक चंदे की पारदर्शिता को खत्म किया और सत्ताधारी पार्टी भाजपा को सीधे लाभ पहुंचाया।” गहलोत के मुताबिक, “मैंने बार-बार कहा कि चुनावी बॉन्ड आजाद भारत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है। आज उच्चतम न्यायालय के फैसले ने यह साबित कर दिया है कि इलेक्टोरल बॉन्ड एनडीए सरकार का एक बड़ा घोटाला है।” उन्होंने कहा, “यह फैसला देर से आया पर देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए बेहद ही जरूरी फैसला है। उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद।”
क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
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