चेयरमैन, प्रबंध निदेशक की भूमिका अलग करने से प्रवर्तकों की स्थिति कमजोर नहीं होगी : सेबी

नयी दिल्ली, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों (सीएमडी) की भूमिका को अलग-अलग करने के नए ढांचे का मकसद प्रवर्तकों की स्थिति को कमजोर करना नहीं है।

सेबी के प्रमुख अजय त्यागी ने मंगलवार को कहा कि इस नयी व्यवस्था से सूचीबद्ध कंपनियों के कामकाज के संचालन के ढांचे में सुधार लाने में मदद मिलेगी।

त्यागी ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कॉरपोरेट गवर्नेंस पर आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इससे किसी एक व्यक्ति के पास बहुत अधिक अधिकारों को कम करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा भूमिकाओं को अलग करने से संचालन का ढांचा अधिक बेहतर और संतुलित हो सकेगा।

उन्होंने कहा कि दिसंबर, 2020 तक शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों में से करीब 53 प्रतिशत नियामकीय प्रावधान का अनुपालन कर रही थीं।

सेबी ने जनवरी, 2020 में सूचीबद्ध कंपनियों के लिए चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों की भूमिका को विभाजित करने की व्यवस्था को दो साल के लिए एक अप्रैल, 2022 तक टाल दिया है। कंपनियों की ओर से इसकी मांग की गई थी।

सेबी नियमों के तहत शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों को एक अप्रैल, 2020 से चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक या मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) की भूमिका को विभाजित करना था। अभी कई कंपनियों ने चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का पद मिला दिया है। इससे हितों के टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। इसी के मद्देनजर नियामक ने मई, 2018 में इन पदों को विभाजित करने के नियम पेश किए थे।

त्यागी ने कहा कि कोविड-19 के दौरान सूचीबद्ध कंपनियों को सभी अंशधारकों से पर्याप्त प्रकटीकरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कंपनियों को यह बताना चाहिए कि महामारी का क्या वित्तीय प्रभाव हुआ है। उन्हें सिर्फ चुनिंदा खुलासे तक सीमित नहीं रहना चाहिए।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikipedia

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