देहरादून, उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने महत्वपूर्ण जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति से मंजूरी मिलने को ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए कहा कि करीब पांच दशकों से लंबित पड़ी परियोजना के बनने से हल्द्वानी के आसपास के क्षेत्रों में पेयजल और सिंचाई की समस्या का समाधान हो जाएगा।
महाराज ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘इस परियोजना पर अब तेजी से काम शुरू हो जाएगा ।” वित्तीय कारणों की चलते यह परियोजना 1975 से लंबित पड़ी थी ।
महाराज ने कहा कि इस परियोजना को 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है जिसपर अनुमानित लागत 2584 करोड़ रुपये आएगी। पच्चीस अक्टूबर को केंद्रीय कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने इस परियोजना को अपनी मंजूरी दे दी थी।
नैनीताल जिले में काठगोदाम से कुछ दूर गौला नदी पर 150.60 मीटर की ऊंचाई पर जमरानी बांध का निर्माण प्रस्तावित है। परियोजना से लगभग 1,50,000 हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र सिंचाई सुविधा से लाभान्वित होगा । इसके साथ ही इससे हल्द्वानी शहर को वार्षिक 42 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पेयजल उपलब्ध कराए जाने तथा 63 मिलियन यूनिट जल विद्युत उत्पादन का प्रावधान है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (वृहद एवं मध्यम) के अन्तर्गत जमरानी बांध परियोजना के वित्त पोषण के लिए निवेश स्वीकृति मिल चुकी है जबकि जल शक्ति मंत्रालय द्वारा वित्त मंत्रालय के सार्वजनिक निवेश बोर्ड को वित्तीय स्वीकृति के लिए प्रेषित प्रस्ताव पर भी सहमति मिल चुकी है ।
परियोजना में 90 प्रतिशत अंशदान केंद्र सरकार और 10 प्रतिशत अंशदान राज्य सरकार को देना होगा। राज्य के अंशदान का वहन पूर्व में हुए समझौते के मुताबिक उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा । जमरानी बांध परियोजना से प्रभावित 351.55 हेक्टेयर वन भूमि सिंचाई विभाग को हस्तांतरित करने के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से इस वर्ष जनवरी में स्वीकृति मिल चुकी है ।
क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
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