श्रीनगर, कश्मीर में नशीले पदार्थ की समस्या खासकर युवाओं में हेरोइन के सेवन में भारी वृद्धि देखी जा रही है तथा जम्मू कश्मीर में जो भी सत्ता में आएगा उसे इस खतरे से निपटने में कठिन चुनौती का सामना करना पड़ेगा। विशेषज्ञों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में हेरोइन की आसान उपलब्धता के चलते नशीले पदार्थ की समस्या कई गुना बढ़ गई है तथा घाटी में पुनर्वास केंद्र पूरी तरह से भरे हुए हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा संचालित नशा मुक्ति केंद्र से जुड़े डॉ. मोहम्मद मुजफ्फर खान ने कहा ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि (नशीले पदार्थ के दुरुपयोग के मामलों की) संख्या में वृद्धि हुई है।’’ उन्होंने कहा ‘‘संसद में पेश सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की पिछली रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में नशा करने वाले 10 लाख व्यक्ति हैं जिनमें से अधिकांश हेरोइन का सेवन करते हैं।’’ श्रीनगर में युवा विकास एवं पुनर्वास केंद्र के प्रमुख डॉ. खान ने कहा कि 2018 में जम्मू कश्मीर के लोग नशीले पदार्थों के सेवन को नकार रहे थे और कोई भी इसे समस्या के रूप में नहीं पहचान रहा था। डॉ खान ने कहा कि हालांकि पुलिस के प्रयास और एक बड़े जागरूकता कार्यक्रम के साथ यह व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है कि घाटी में नशे की लत व्याप्त है। डॉ खान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि घाटी में नशे की लत के परिदृश्य में बदलाव आया है और यह एक बड़ी समस्या भी है। उन्होंने कहा ‘‘दस साल पहले यहां प्रचलित मादक पदार्थ में भांग और चरस शामिल थे जो स्थानीय रूप से उगाए जाते हैं। लेकिन पिछले सात से आठ सालों में (2016 से) हमने एक अलग प्रवृत्ति देखी है। अब ज़्यादातर मरीज हेरोइन के आदी हैं और हेरोइन पर निर्भर हो चुके हैं।’’ एक निजी पुनर्वास केंद्र के प्रभारी ने कहा कि इकाई में सबसे कम उम्र का मरीज 14 साल का है और सबसे अधिक आयु का मरीज 60 साल का है। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) के पुलिस उपाधीक्षक निसार बख्शी ने कहा कि पूरी जम्मू कश्मीर पुलिस मादक पदार्थों की समस्या से लड़ रही है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि इस इकाई की स्थापना से मादक पदार्थ तस्करों का दायरा कम हो गया है। सभी राजनीतिक दल चाहे वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हो जम्मू कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी हो नेशनल कॉन्फ्रेंस हो या कांग्रेस हो क्षेत्र में नशीले पदार्थों की समस्या को एक प्रमुख मुद्दे के रूप में देखते हैं और विधानसभा चुनावों में अपने अभियान के दौरान इसका उल्लेख भी करते हैं।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया फोटो क्रेडिट : Wikimedia common