जीका वायरस: केरल के स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सतर्क रहने का आग्रह किया

तिरुवनंतपुरम, उत्तरी कन्नूर जिले में जीका वायरस के फैलने की सूचना मिलने के कुछ दिन बाद, केरल स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को एक दिशा-निर्देश जारी कर लोगों से इस मच्छर जनित बीमारी के प्रति सतर्क रहने का आग्रह किया। उत्तरी कन्नूर जिले के थलासेरी इलाके में वायरस के प्रकोप के मद्देनजर यह दिशा-निर्देश जारी किया गया है। विभाग ने कहा कि ‘‘बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द, जोड़ों के दर्द और आखें लाल होने’’ जैसे लक्षणों को गंभीरता से लिया जाए। विभाग ने लोगों से से आग्रह किया कि यदि उन्हें ये लक्षण दिखाई दें तो वे तुरंत स्वास्थ्य कर्मियों को सूचित करें। संक्रमण का पहला मामला 30 अक्टूबर को कन्नूर जिले के थलासेरी क्षेत्र में सामने आया था। एक नवंबर को क्षेत्र में एक चिकित्सा शिविर के दौरान 24 नमूने एकत्र कर परीक्षण के लिए भेजे गए थे। बयान में कहा गया है, “यदि मरीजों में जीका वायरस के लक्षण देखे जाते हैं, तो स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को उन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।” स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज की अध्यक्षता में यहां आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में, थलासेरी में जीका वायरस के मामलों की समीक्षा के बाद यह बयान जारी किया गया। थलासेरी में जीका वायरस के आठ मामलों की अबतक पुष्टि हो चुकी है। विभाग ने कहा कि यदि गर्भवती महिलाएं वायरस से प्रभावित होती हैं, तो अजन्मे बच्चे में ‘माइक्रोसेफली’ जैसे जन्म दोष होने की आशंका होती है। इसलिए, जिन क्षेत्रों में बीमारी के मामले सामने आए हैं, उनमें गर्भवती महिलाओं की विशेष रूप से निगरानी की जानी चाहिए। ‘माइक्रोसेफली’ एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बच्चा छोटे सिर के साथ पैदा होता है या जन्म के बाद सिर बढ़ना बंद हो जाता है। विभाग ने चिकित्सकों को बुखार से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की अलग से जांच करने का निर्देश दिया है। विभाग के अनुसार जीका वायरस मुख्य रूप से एडीज मच्छर से फैलता है, लेकिन यह रक्तदान और यौन संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है। क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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