जेल सुधार: न्यायालय ने कैदियों के लिए चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता का विवरण मांगा

नयी दिल्ली, जेलों में कैदियों की भीड़भाड़ की समस्या के मुद्दे से जुड़ी एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्यों से कैदियों के लिए चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता और उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के बारे में विवरण देने को कहा है। शीर्ष अदालत देश भर की 1,382 जेलों में व्याप्त कथित “अमानवीय स्थितियों” से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही है। न्यायालय ने केंद्र और राज्यों से डिजिटल रूप से अदालती कार्यवाही के संचालन के लिए पर्याप्त सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) बुनियादी ढांचे की उपलब्धता और जेल में बंद लोगों के परिवार के सदस्यों के मुलाकात के अधिकारों के बारे में विवरण देते हुए हलफनामा दायर करने को भी कहा। मामला जब मंगलवार को न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, तो उसने कहा कि छठी, सातवीं और आठवीं प्रारंभिक रिपोर्ट और पिछले साल दिसंबर की रिपोर्ट का अंतिम सारांश शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त जेल सुधार समिति की तरफ से पेश किया गया है। शीर्ष अदालत ने सितंबर 2018 में जेल सुधारों से जुड़े मुद्दों को देखने और जेलों में भीड़भाड़ सहित कई पहलुओं पर सिफारिशें करने के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अमिताव रॉय की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। पीठ ने मंगलवार को इस मामले में न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) वकील गौरव अग्रवाल से भारत संघ और राज्य सरकारों के वकील के साथ रिपोर्ट की प्रतियां साझा करने के लिए कहा। पीठ ने कहा कि रिपोर्ट का अध्ययन करने और सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत की सहायता करने के लिए पक्षों के वकीलों की तरफ से कुछ समय मांगा गया, जो उन्हें दिया गया है। उसने कहा, “25 सितंबर, 2018 के आदेश के संदर्भ में अपनी सिफारिशें देने के लिए इस अदालत द्वारा समिति को भेजे गए संदर्भ की शर्तों पर गौर करने के बाद, हमारी राय है कि कुछ अन्य मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं…” न्यायालय ने कहा, “जेल में कैदियों को चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता, जेल में कैदियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना और डिजिटल अदालती कार्यवाही आयोजित करने और परिवार के सदस्यों के मुलाकात के अधिकारों के लिए जेल परिसर में पर्याप्त आईटी बुनियादी ढांचे की उपलब्धता इसमें शामिल हैं।” उसने कहा, शुरुआत के लिए, उपरोक्त पहलुओं पर भारत संघ और राज्य सरकारों द्वारा आज से तीन सप्ताह के भीतर संबंधित राज्यों के जेल महानिदेशक के माध्यम से उचित हलफनामा दायर करके जवाब दिया जा सकता है। इसमें एमिकस क्यूरी को अग्रिम प्रतियां उपलब्ध कराई जाएं जिनसे सुनवाई की अगली तारीख पर न्यायालय के अवलोकन के लिए प्रस्तुत की गई पूरी जानकारी को एकत्रित करने का अनुरोध किया जाता है। पीठ इस मामले में अगली सुनवाई 26 सितंबर को करेगी।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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