डाकघर से संबंधित कानून में संशोधन के लिए राज्यसभा में विधेयक पेश

नयी दिल्ली, सरकार ने डाक सेवाओं से जुड़ा एक अहम विधेयक बृहस्पतिवार को राज्यसभा में पेश किया जिसमें देश में डाकघर से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करना है।  संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उच्च सदन में विपक्ष के हंगामे के बीच डाकघर विधेयक, 2023 पेश किया। उस समय विपक्ष के सदस्य मणिपुर मुद्दे को लेकर सदन में हंगामा कर रहे थे।  विधेयक के उद्देश्य एवं कारण में कहा गया है कि इसका उद्देश्य भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 को निरस्त करना और भारत में डाकघर से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करना और उससे जुड़े या उसके प्रासंगिक मामलों का प्रावधान करना है।

             इसमें कहा गया है कि भारतीय डाकघर कानून, 1898 भारत में डाकघर के कामकाज को संचालित करने की दृष्टि से 1898 में अधिनियमित किया गया था। यह कानून मुख्यतया डाकघर के जरिए प्रदान की जाने वाली मेल सेवाओं से संबंधित है।  विधेयक के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में, डाकघर के माध्यम से उपलब्ध सेवाओं में काफी विविधता आई है और डाकघर नेटवर्क विभिन्न प्रकार की नागरिक केंद्रित सेवाओं की डिलीवरी के लिए एक प्रमुख माध्यम बन गया है, जिसके कारण मूल अधिनियम को निरस्त करना और उसके स्थान पर नया कानून लागू करना आवश्यक हो गया है।

             इसमें जिक्र किया गया है कि डाकघर ऐसी सेवाएं प्रदान करेगा जो केंद्र सरकार नियमों द्वारा निर्धारित करती है। इसके साथ ही डाक सेवा महानिदेशक उन सेवाओं को प्रदान करने के लिए आवश्यक गतिविधियों को लेकर नियम बनाएंगे और ऐसी सेवाओं के लिए शुल्क निर्धारित करेंगे। डाकघर को डाक टिकट जारी करने का विशेषाधिकार होगा। इसमें कहा गया है कि डाकघर और अधिकारियों को डाकघर द्वारा दी गई किसी भी सेवा के दौरान किसी हानि, अन्यत्र वितरण, देरी या क्षति के संबंध में किसी भी जवाबदेही से छूट दी जाएगी, सिवाय ऐसी जवाबदेही के, जो निर्धारित की जा सकती हो।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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