तिब्बत में आए विनाशकारी भूकंप के पीड़ितों के लिए तंबू पहुंचाए गए

बीजिंग  पश्चिमी चीन के तिब्बत में तिब्बती बौद्धों के पवित्र शहरों में से एक शिगात्से में मंगलवार को सुबह आए विनाशकारी भूकंप में अपना घर गंवा चुके जीवित बचे लोगों के लिए ठंड से बचाव और सिर ढंकने के वास्ते आसरा पाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। राहत एवं बचाव कार्य में जुटे बचावकर्मी बुधवार को जीवित बचे लोगों और पीड़ितों की तलाश में जुटे रहे। भूकंप में हजारों मकान ध्वस्त हो गए और कम से कम 126 लोगों की मौत हो गई।

             जिन लोगों के घर रहने लायक नहीं हैं या असुरक्षित हैं  उन्हें आश्रय प्रदान करने के लिए तंबू  रजाई और अन्य राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। लगभग 13 800 फुट की औसत ऊंचाई वाले क्षेत्र में रात में तापमान शून्य से काफी नीचे चला गया। मंगलवार शाम तक मरने वालों की संख्या 126 हो चुकी थी और 188 अन्य घायल हुए थे। हालांकि  बुधवार को दिन भर कोई और अद्यतन जानकारी नहीं दी गई। तिब्बत के आपातकालीन प्रबंधन विभाग के निदेशक हांग ली ने दिन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि अब पूरा ध्यान खोज एवं बचाव से हटकर पुनर्वास और पुनर्निर्माण की ओर स्थानांतरित हो गया है। भूकंप शिगात्से शहर के एक बाहरी काउंटी में आया  जो तिब्बती बौद्ध धर्म की दूसरी सबसे बड़ी शख्सियत पंचेन लामा का पारंपरिक निवास स्थान है। यह तुरंत पता नहीं चल पाया कि वे उस समय अपने ताशी ल्हुनपो मठ में थे या नहीं या तिब्बत के दूसरे सबसे बड़े शहर को कितना नुकसान हुआ। भूकंप का केंद्र रहा स्थान शहर के मुख्य भाग से लगभग 25 किलोमीटर दूर है  जिसे चीन में शिगाजे कहा जाता है और यह एक उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में फैला हुआ है।

             भूकंप के बाद  इसके पश्चात आने वाले 500 से अधिक झटके दर्ज किए गए। अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण ने भूकंप की तीव्रता 7.1 बताई थी जबकि चीन के भूकंप केंद्र ने 6.8 की तीव्रता दर्ज की। भूकंप माउंट एवरेस्ट और नेपाल की सीमा से लगभग 75 किलोमीटर दूर आया था। वहीं नेपाल की राजधानी काठमांडू में भूकंप के झटकों से घबराए लोग अपने अपने घरों से बाहर निकल आए थे। भारत के धर्मशाला में बुधवार की रात मोमबत्ती जलाकर प्रार्थना करने की योजना है  जो तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च व्यक्ति दलाई लामा का निवास स्थान है और यहां बड़ी संख्या में तिब्बती लोग रहते हैं। दलाई लामा की वेबसाइट पर एक घोषणा में कहा गया है कि वह बृहस्पतिवार को पीड़ितों की याद में एक प्रार्थना समारोह का नेतृत्व करेंगे।

             चीनी सरकार का मानना ​​है कि दलाई लामा तिब्बत को चीन से स्वतंत्र कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रार्थना समारोह के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा  ‘‘हम दलाई लामा की अलगाववादी प्रकृति और राजनीतिक योजनाओं के बारे में बहुत स्पष्ट हैं और अत्यधिक सतर्क हैं।’’गुओ ने विश्वास व्यक्त किया कि भूकंप प्रभावित क्षेत्र के लोग चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के ‘‘मजबूत नेतृत्व’’ में पुनर्निर्माण करने में सक्षम होंगे।

             चीनी सरकार और दलाई लामा के अनुयायियों के बीच इस बात को लेकर विवाद चल रहा है कि पंचेन लामा का पद किसे मिलना चाहिए  क्योंकि 1990 के दशक के मध्य में दलाई लामा द्वारा नियुक्त एक लड़का गायब हो गया था और इस पद के लिए एक चीन समर्थित उम्मीदवार को मंजूरी दी गई थी। दलाई लामा ने इस कदम की निंदा की है और वर्तमान पंचेन लामा को मान्यता देने से इनकार कर दिया है।

             चीन की सरकार का कहना है कि तिब्बत सदियों से उसका हिस्सा रहा है  लेकिन कई तिब्बतियों का कहना है कि वे ज्यादातर समय तक कार्यात्मक रूप से स्वतंत्र थे। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने 1950 में इस क्षेत्र पर आक्रमण किया और नौ साल बाद चीनी शासन के खिलाफ विद्रोह के दौरान दलाई लामा पलायन कर भारत आ गए  जिसे तिब्बत की अनूठी बौद्ध संस्कृति को नष्ट करने के रूप में देखा गया।

             गुरुम गांव के कम्युनिस्ट पार्टी प्रमुख त्सेरिंग फुंटसोग ने मंगलवार को आधिकारिक ‘शिन्हुआ’ समाचार एजेंसी को बताया कि मृतकों में गुरुम के 222 निवासियों में से कम से कम 22 लोग शामिल हैं। मरने वालों में उनकी 74 वर्षीय मां भी शामिल हैं और उनके कई अन्य रिश्तेदार मलबे में दबे हुए हैं। त्सेरिंग फुंटसोग ने कहा  ‘‘भूकंप आने पर युवा भी घरों से बाहर नहीं निकल पाए  बूढ़े और बच्चों की तो बात ही छोड़िए।’’

             शिगात्से में नगर प्रशासन का हवाला देते हुए ‘शिन्हुआ’ ने कहा कि प्रारंभिक सर्वेक्षण के अनुसार 3 600 से अधिक मकान ढह गए और 30 000 निवासियों को स्थानांतरित किया गया है। शिगात्से को चीनी में शिगाजे कहा जाता है। सरकारी प्रसारक ‘सीसीटीवी’ ने कहा कि अग्निशमन दल और अन्य के अलावा आपातकालीन प्रबंधन मंत्रालय ने 1 850 बचाव दलों को तैनात किया है। चीनी अधिकारियों द्वारा तिब्बत की जनता से दुर्व्यवहार की खबरों के कारण तिब्बत में विदेशी पत्रकारों का प्रवेश सामान्यतः बंद रहता है। ‘शिन्हुआ’ की खबर के अनुसार  भूकंप प्रभावित क्षेत्र में बचे लोगों से मिलने आए चीन के उप प्रधानमंत्री झांग गुओकिंग ने आपदा के बाद पुनर्निर्माण कार्य में तेजी लाने का आह्वान किया  ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे इस सर्दी में सुरक्षित और गर्म रह सकें। खबर में कहा गया है कि क्षेत्र में बिजली और संचार व्यवस्था बहाल कर दी गई है  जिससे आपातकालीन वस्तुओं की आपूर्ति सुचारू रूप से हो सके।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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