अदालत ने दिल्ली सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को 5 जनवरी, 2025 तक एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने का आदेश दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दिल्ली के निवासियों को इस योजना के तहत प्रदान की जाने वाली धनराशि और सुविधाओं का लाभ मिले। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली के नागरिकों को इसके लाभों से वंचित होने से बचाने के लिए इस योजना को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि चूंकि 33 अन्य राज्य और केंद्र शासित प्रदेश पहले ही इस योजना को अपना चुके हैं, इसलिए दिल्ली के लिए ऐसा न करना अनुचित है। भले ही इस अवधि के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू हो जाए, फिर भी एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाने चाहिए, क्योंकि यह जनहित में है। यह निर्देश सरकारी अस्पतालों में आईसीयू बेड और वेंटिलेटर की उपलब्धता से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान जारी किया गया था। इससे पहले दिल्ली के अस्पतालों में चिकित्सा बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर सलाह देने के लिए डॉ. एस.के. सरीन की अगुवाई में एक समिति गठित की गई थी। अदालत ने दिल्ली सरकार को राजधानी के सभी अस्पतालों में जन औषधि केंद्रों की स्थापना सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया था।https://en.wikipedia.org/wiki/Ayushman_Bharat_Yojana#/media/File:Ayushman_Bharat_logo.png