दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के परिजनों को नियुक्ति के प्रस्ताव वितरित किए, इससे पहले उन्होंने भर्ती के लिए पात्रता में लंबे समय से लंबित छूट को मंजूरी दी थी।
उपराज्यपाल ने कहा कि नवंबर 2024 में भी उन्होंने ऐसे नियुक्ति प्रस्ताव वितरित किए थे और तब वादा किया था कि लंबित आवेदनों का विशेष शिविरों के माध्यम से सत्यापन किया जाएगा और पात्र लोगों को जल्द से जल्द रोजगार प्रदान किया जाएगा। उपराज्यपाल ने कहा कि उन्हें खुशी है कि दो महीने के भीतर यह लक्ष्य हासिल किया जा सका।
एलजी ने कहा, “इन परिवारों के लिए यह केवल नौकरी का अवसर नहीं है, बल्कि न्याय और उनकी गरिमा की बहाली का प्रतीक है। 40 साल की उपेक्षा के बाद आखिरकार उन्हें न्याय की भावना प्रदान करना वास्तव में संतुष्टिदायक था।” एलजी ने गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर पश्चिमी दिल्ली में दुखद रूप से नामित “विधवा कॉलोनी” का नाम बदलकर माता गुजरी के नाम पर रखा। कॉलोनी का नाम इसलिए रखा गया क्योंकि वहां रहने वाले ज्यादातर लोग 1984 के नृशंस सिख विरोधी दंगों के दौरान मारे गए पुरुषों की विधवाएँ थीं। इस अवसर पर पश्चिमी दिल्ली की सांसद कमलजीत सहरावत भी मौजूद थीं।
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