आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच तीखी बहस के बाद दिल्ली विधानसभा ने बस मार्शलों की नौकरी बहाल करने का प्रस्ताव पारित कर दिया। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 3 अक्टूबर को सुबह 11 बजे दिल्ली सरकार के सभी मंत्री, आप और भाजपा के सभी विधायक दिल्ली के उपराज्यपाल के पास जाएंगे और बस मार्शलों की नियुक्ति के कागजात पर हस्ताक्षर करवाकर ही लौटेंगे। प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। बहस के दौरान सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 10 हजार बस मार्शलों की जिंदगी बर्बाद हो गई है, क्योंकि उन्हें वेतन नहीं मिला है। वे अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में भी असमर्थ हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जब से विनय कुमार सक्सेना ने उपराज्यपाल का पद संभाला है, तब से यह एक “पैटर्न” बन गया है कि अधिकारी किसी योजना में कोई न कोई खामी निकाल ही लेते हैं। भारद्वाज ने दावा किया, “जनवरी 2023 में 10,000 बस मार्शलों का वेतन रोक दिया गया था, क्योंकि परिवहन विभाग के अधिकारियों ने नागरिक सुरक्षा बस मार्शलों की तैनाती पर सवाल उठाया था, क्योंकि सार्वजनिक परिवहन बसों में सुरक्षा के उद्देश्य से सीसीटीवी कैमरे लगे थे।” उन्होंने कहा कि अधिकारियों के इस अवलोकन का परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत और राजस्व मंत्री आतिशी ने विरोध किया। विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि आप सरकार ने बस मार्शलों को धोखा दिया है। उन्होंने दावा किया कि 11 अक्टूबर, 2023 को एलजी को लिखे एक पत्र में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लिखा था कि “सही कानूनी स्थिति का पता लगाया जा सकता है और जब तक इसका निर्धारण नहीं हो जाता, अक्टूबर तक सभी नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की सेवाएं समाप्त की जा सकती हैं”। https://commons.wikimedia.org/wiki/File:DTC_Bus_Green_Non_AC.jpg