दीर्घकालिक कोविड लंबे समय तक संक्रमण की वजह से हो सकता है

मेलबर्न, कोरोनो वायरस संक्रमण से ग्रस्त लगभग 5-10 प्रतिशत लोग लंबे समय तक कोविड का सामना करते हैं जिसके लक्षण तीन महीने या उससे अधिक समय तक रहते हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने लंबे समय तक कोविड रहने की व्याख्या करने के लिए कई जैव प्रणालियां प्रस्तावित की हैं। हालांकि ऑस्ट्रेलिया के नवीनतम मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक आलेख में हमारा तर्क है कि यदि सभी नहीं तो अधिकतर लोगों में लंबे समय तक कोविड का होना शरीर में वायरस के लंबे समय तक बने रहने से जुड़ा प्रतीत होता है। महामारी की अपेक्षाकृत शुरुआती अवधि से यह मान्यता रही है कि कुछ लोगों में सार्स-सीओवी-2 वायरस या कम से कम उसके अवशेष लंबे समय तक विभिन्न ऊतकों और अंगों में बने रह सकते हैं। इस सिद्धांत को ‘वायरल परसिस्टेंस’ के रूप में जाना जाता है। दूसरा इसमें व्यापक आबादी में कई लोगों में तीव्र बीमारी के बाद भी लक्षण पैदा करने की क्षमता होती है। दूसरे शब्दों में लंबे समय तक संक्रमण के कारण दीर्घकालिक कोविड हो सकता है। ऐसा कोई अध्ययन तो नहीं है जो पुष्टि करता हो कि लगातार वायरस का संक्रमण दीर्घकालिक कोविड का कारण है लेकिन सामूहिक रूप से कई हालिया प्रमुख शोधपत्र इस संबंध में एक इशारा करते हैं। अन्य प्रमुख शोधपत्रों में रोगियों के रक्त में उनके प्रारंभिक संक्रमण के कुछ वर्ष बाद वायरल आरएनए और प्रोटीन की प्रतिकृति का पता चला। यह संकेत है कि वायरस संभवतः शरीर में कुछ छिपे हुए हिस्सों में लंबे समय तक प्रतिकृति बना रहा है जिसमें संभवतः रक्त कोशिकाएं भी शामिल हैं। एक अन्य अध्ययन में तीव्र संक्रमण के एक से चार महीने बाद दस अलग-अलग ऊतक स्थलों और रक्त के नमूनों में वायरल आरएनए होने का पता चला। इस अध्ययन में पाया गया कि लगातार ‘पोजिटिव’ वायरल आरएनए वाले लोगों में लंबे समय तक कोविड (संक्रमण के चार महीने बाद मापा गया) का जोखिम अधिक था। हालांकि नई दवाओं के विकास और तेजी से परीक्षण के लिए नैदानिक परीक्षण मंचों की स्थापना पर होना चाहिए। विज्ञान ने कई उत्साहजनक चिकित्सीय विकल्प प्रदान किए हैं लेकिन इन्हें क्लिनिक में उपयोग करने योग्य रूपों में बदलना एक बड़ी बाधा है जिसके लिए सरकारों से समर्थन और निवेश की आवश्यकता होती है। दीर्घकालिक कोविड आम है और यह केवल गंभीर तीव्र बीमारी के उच्च जोखिम वाले लोगों तक ही सीमित नहीं है बल्कि सभी आयु समूहों को प्रभावित करता है। एक अध्ययन में सबसे अधिक प्रभाव 30 से 49 वर्ष की आयु के लोगों में देखा गया। कोविड रोधी टीके की बूस्टर खुराक भी महत्वपूर्ण निवारक है। टीके लंबे समय तक कोविड रहने और उसके बाद की जटिलताओं को कम करते हैं। उम्मीद है कि एक दिन दीर्घकालिक कोविड के लिए बेहतर उपचार होगा। लेकिन इस बीच दीर्घकालिक कोविड के जैवचिकित्सा आधार के बारे में बढ़ती जागरूकता से चिकित्सकों को रोगियों को अधिक गंभीरता से लेने के लिए प्रेरित होना चाहिए।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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