प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के वर्धा में राष्ट्रीय पीएम विश्वकर्मा कार्यक्रम को संबोधित कियाप्रधानमंत्री ने ‘आचार्य चाणक्य कौशल विकास’ योजना और ‘पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर महिला स्टार्टअप योजना’ का शुभारंभ किया। उन्होंने पीएम विश्वकर्मा लाभार्थियों को प्रमाण पत्र और ऋण जारी किए और पीएम विश्वकर्मा के तहत प्रगति के एक वर्ष को चिह्नित करने के लिए समर्पित एक स्मारक टिकट भी जारी किया। श्री मोदी ने महाराष्ट्र के अमरावती में पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्र) पार्क की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर प्रदर्शित प्रदर्शनी का अवलोकन किया।जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने दो दिन पहले विश्वकर्मा पूजा समारोह को याद किया और कहा कि आज पीएम विश्वकर्मा योजना के एक वर्ष सफलतापूर्वक पूरा होने का उत्सव यहां वर्धा में मनाया जा रहा है उन्होंने कहा कि आज पीएम विश्वकर्मा का एक वर्ष पूरा होना और श्री विनोवा भावे की साधनास्थली और महात्मा गांधी की कर्मभूमि वर्धा की धरती से इसका जश्न, इस अवसर को उपलब्धियों और प्रेरणा का संगम बनाता है, जो विकसित भारत के संकल्प को नई ऊर्जा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना के माध्यम से सरकार ने कौशल विकास और श्रम से समृद्धि के माध्यम से बेहतर भविष्य बनाने का संकल्प लिया है और महात्मा गांधी के आदर्श इसे हकीकत में बदलने का माध्यम बनेंगे। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर पीएम विश्वकर्मा योजना से जुड़े सभी लोगों को बधाई दी।प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि आज पीएम मित्र पार्क की आधारशिला रखी गई है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज का भारत अपने कपड़ा उद्योग को दुनिया के बाजारों के शिखर पर ले जाने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य भारत के कपड़ा उद्योगों की सदियों पुरानी प्रसिद्धि और मान्यता को फिर से स्थापित करना है। श्री मोदी ने कहा कि अमरावती में पीएम मित्र पार्क इस दिशा में एक और बड़ा कदम है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए अमरावती के लोगों को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि महाराष्ट्र के वर्धा को पीएम विश्वकर्मा योजना की पहली वर्षगांठ के लिए चुना गया था क्योंकि यह सिर्फ एक और सरकारी कार्यक्रम नहीं था बल्कि यह भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए रोडमैप के रूप में सदियों पुराने पारंपरिक कौशल का उपयोग करने की योजना थी। यह बताते हुए कि हमारे सदियों पुराने पारंपरिक कौशल भारत की समृद्धि के कई गौरवशाली अध्यायों का आधार थे, उन्होंने कहा कि हमारी कला, इंजीनियरिंग, विज्ञान और धातु विज्ञान पूरी दुनिया में बेजोड़ है। श्री मोदी ने कहा, “हम दुनिया के सबसे बड़े कपड़ा निर्माता थे।” प्रधानमंत्री ने कहा, “उस समय मिट्टी के बर्तनों और इमारतों का कोई मुकाबला नहीं था।” श्री मोदी ने कहा कि बढ़ई, लोहार, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोची, बढ़ई-राजमिस्त्री और ऐसे कई पेशेवर लोग भारत की समृद्धि की नींव रखते थे और इस ज्ञान और विज्ञान को घर-घर तक पहुंचाते थे। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने इन स्वदेशी कौशलों को खत्म करने के लिए कई साजिशें रचीं। उन्होंने कहा कि वर्धा की इसी धरती से गांधीजी ने ग्रामीण उद्योग को बढ़ावा दिया था। उन्होंने देश के दुर्भाग्य पर नाराजगी जताई कि आजादी के बाद एक के बाद एक सरकारों ने इस कौशल को वह सम्मान नहीं दिया जिसका यह हकदार था। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने शिल्प और कौशल का सम्मान करना भूलकर विश्वकर्मा समुदाय की लगातार उपेक्षा की, जिसके परिणामस्वरूप भारत प्रगति और आधुनिकता की दौड़ में पिछड़ने लगा। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि वर्तमान सरकार ने आजादी के 70 वर्षों के बाद पारंपरिक कौशल में नई ऊर्जा लाने का संकल्प लिया है, प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि ‘सम्मान, सामर्थ्य, समृद्धि’, (“सम्मान, क्षमता और समृद्धि) पीएम विश्वकर्मा योजना की भावना है”। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा उद्देश्य पारंपरिक शिल्पों का सम्मान, कारीगरों का सशक्तिकरण और विश्वकर्माओं की समृद्धि है। प्रधानमंत्री ने पीएम विश्वकर्मा को सफल बनाने के लिए विभिन्न विभागों के बड़े पैमाने पर और अभूतपूर्व सहयोग की ओर ध्यान आकर्षित किया और बताया कि 700 से अधिक जिले, 2.5 लाख ग्राम पंचायतें, 5000 शहरी स्थानीय इकाइयां इस योजना को गति दे रही हैं। श्री मोदी ने कहा कि पिछले वर्ष 18 विभिन्न पारंपरिक कौशल वाले 20 लाख से अधिक लोगों को पीएम विश्वकर्मा योजना से जोड़ा गया है। आधुनिक मशीनरी और डिजिटल उपकरणों की शुरूआत के साथ 8 लाख से अधिक कारीगरों और शिल्पकारों को कौशल प्रशिक्षण और उन्नयन प्रदान किया गया है। अकेले महाराष्ट्र में 60,000 से अधिक लोगों ने कौशल प्रशिक्षण प्राप्त किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि उत्पादकता बढ़ाने में मदद के लिए 6 लाख से अधिक विश्वकर्माओं को आधुनिक उपकरण प्रदान किए गए हैं।प्रधानमंत्री ने संतोष व्यक्त किया कि एक वर्ष के भीतर विश्वकर्माओं को 1400 करोड़ रुपये के ऋण दिए गए हैं। पारंपरिक कौशल के प्रति एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के योगदान को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री ने पिछली सरकारों के दौरान उनके साथ हुई उपेक्षा पर अफसोस जताया और कहा कि यह वर्तमान सरकार है जिसने पिछड़ा विरोधी मानसिकता की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। उन्होंने पिछले वर्ष के आंकड़ों पर प्रकाश डाला और कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय विश्वकर्मा योजना का सबसे अधिक लाभ उठा रहे हैं। विश्वकर्मा समुदाय के लोगों के लिए अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कि वे केवल कारीगर ही न रहें बल्कि उद्यमी और व्यवसाय के मालिक बनें, प्रधानमंत्री ने विश्वकर्मा द्वारा किए गए कार्यों को एमएसएमई का दर्जा प्रदान करने का उल्लेख किया। उन्होंने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट और एकता मॉल जैसे प्रयासों के बारे में बात की, जहां पारंपरिक उत्पादों का विपणन किया जा रहा है ताकि विश्वकर्मा बड़ी कंपनियों की आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बन सकें।\https://x.com/narendramodi/status/1837122392105087140/photo/1