नाटो प्रमुख ने अफगानिस्तान से सैनिकों की जल्द वापसी की संभावना खारिज की

ब्रसेल्स, नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलनबर्ग ने बृहस्पतिवार को कहा कि सैन्य गठबंधन अफगानिस्तान से तभी लौटेगा जब सुरक्षा संबंधी हालात इसकी इजाज़त देंगे। दरअसल तालिबान के साथ हुए शांति समझौते के तहत सैनिकों की वापसी की समयसीमा निकट है।

अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों को परामर्श देने तथा उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए युद्धग्रस्त क्षेत्र में नाटो के लगभग 10,000 सैनिक मौजूद हैं। इसमें अमेरिकी बलों की संख्या बहुत अधिक नहीं है लेकिन यदि अमेरिका की ओर से परिवहन, साजो-सामान तथा अन्य प्रकार की मदद नहीं मिलती है तो नाटो के लिए अपने अभियान जारी रखना कठिन हो जाएगा।

राष्ट्रपति जो बाइडन अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2020 में तालिबान के साथ किए गए समझौते पर विचार कर रहे हैं। इस समझौते के तहत अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुलाने की समयसीमा एक मई तय की गई है। वाशिंगटन में मांग उठ रही है कि सैनिकों की वापसी को फिलहाल के लिए टाल दिया जाए या फिर छोटे एवं खुफिया अमेरिकी बल की देश में मौजूदगी बनाए रखने के लिए समझौते पर फिर से बातचीत हो।

नाटो समूह के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद स्टोलनबर्ग ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अफगानिस्तान में हमारी मौजूदगी परिस्थितियों पर निर्भर करती है। तालिबान को अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करनी होगी।’’

इस बैठक में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन भी मौजूद थे।

स्टोलनबर्ग ने कहा, ‘‘मुख्य मुद्दा यह है कि तालिबान को हिंसा रोकनी होगी तथा अल कायदा जैसे अंतरराष्ट्रीय अंताकवादी संगठनों को मदद देना बंद करना होगा। हमारी वापसी वहां से उचित समय पर ही होगी और ध्यान इस बात पर केंद्रित होगा कि हम शांति वार्ता को किस तरह समर्थन दे सकते हैं।’’

नाटो के 30 सदस्य देशों में से किसी की भी सरकार ने भी सार्वजनिक रूप से यह नहीं कहा है कि सैनिकों की वापसी के लिए सुरक्षा हालात सही हैं। कई सहयोगी देश वहां सैनिकों को लंबे समय तक बनाए रखने की इच्छा जाहिर कर सकते हैं बर्शत अमेरिका इसके लिए अनुरोध करे।

रक्षा मंत्रियों के बीच बृहस्पतिवार को अफगानिस्तान के बारे में और व्यापक चर्चा होनी है।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

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