न्यायालय ने पेलेट के रूप में लौह अयस्क के निर्यात पर केंद्र से जवाब मांगा

नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कुछ निजी फर्मों द्वारा निर्यात शुल्क से बचने के लिए पैलेट के रूप में लौह अयस्क का निर्यात किया जा रहा है।

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ की याचिका पर संज्ञान लिया और केंद्र से चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा।

एनजीओ की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने खनन और लौह निर्यात पर शीर्ष अदालत के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि यहां तक ​​कि एक संसदीय समिति ने भी कहा है कि घरेलू कंपनियों की कीमत पर लौह अयस्क के निर्यात की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

भूषण ने कहा कि लौह अयस्क के निर्यात को हतोत्साहित करने के लिए 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया है।

पीठ ने इसी मुद्दे पर जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता एम एल शर्मा की इस आपत्ति को खारिज कर दिया कि एनजीओ ने उनकी याचिका की सामग्री को ‘‘चुराया’’ है और इस पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘आपकी (शर्मा) याचिका पहले से ही है। उस पर नोटिस जारी किया गया है। क्या यह भूषण को एक और मामला दायर करने से रोकता है… हम उनकी याचिका को स्वीकार कर रहे हैं और इसका मतलब यह नहीं है कि हम आपकी याचिका को अस्वीकार कर रहे हैं।’’

इस साल जनवरी में शीर्ष अदालत ने शर्मा की जनहित याचिका पर केंद्र और 61 लौह निर्यातक फर्मों को नोटिस जारी की थी। शर्मा ने अपनी याचिका में मांग की थी कि इस मामले में सीबीआई को एक प्राथमिकी दर्ज करने और 2015 से चीन को लौह अयस्क के निर्यात में हुई कथित शुल्क चोरी की जांच करने का निर्देश दिया जाए।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

%d bloggers like this: