पंजाब के मुख्यमंत्री ने किसानों की आय बढ़ाने के लिये खेती के टिकाऊ तौर तरीकों पर जोर दिया

चंडीगढ़, मिशन ‘कामयाब किसान खुशहाल पंजाब’ के तहत, राज्य के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को भविष्य के लिए पारिस्थितिकीय संतुलन को बनाए रखते हुये किसानों की आय में दीर्घकालिक आधार पर सुधार लाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

पंजाब सरकार ने तीन साल के लिए 3,780 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक नया कार्यक्रम ‘कामयाब किसान खुशहाल पंजाब मिशन’ शुरू किया है।

कृषि, बागवानी और मृदा संरक्षण विभागों के कामकाज की वस्तुतः समीक्षा करते हुए, मुख्यमंत्री, जिनके पास कृषि विभाग भी है, ने किसानों को शुरू से अंत तक समर्थन देने के लिए कृषि क्षेत्र में विभिन्न सरकारी योजनाओं के परस्पर तालमेल के महत्व को रेखांकित किया।

एक सरकारी बयान के अनुसार, सिंह ने ‘‘पारंपरिक खेती से किसानों की आय में कमी’’ के बारे में चिंता व्यक्त की, और बागवानी विभाग को किसानों को फलों की खेती के लिए नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराने को कहा ताकि किसानों की आय बढ़ाने का एक पूरक साधन उपलब्ध हो सके।

उन्होंने कहा कि किन्नू, अमरूद, लीची जैसी उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों के उत्पादन से किसानों को गेहूं-धान चक्र से हटने में मदद मिलेगी।

इसी तरह, उन्होंने कृषि विभाग और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से किसानों को फसल विविधीकरण के एक हिस्से के रूप में सब्जियां उगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए संयुक्त रूप से विस्तार कार्यक्रम शुरू करने को कहा।

मुख्यमंत्री ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के कुलपति को कृषि विकास और जल प्रबंधन मॉडल का अध्ययन करने के लिए प्रगतिशील किसानों के अलावा वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों का एक प्रतिनिधिमंडल इज्राइल भेजने का भी निर्देश दिया, क्योंकि वहां की जलवायु स्थिति पंजाब के समान है।

बासमती में कीटनाशकों के अवशेषों को नियंत्रित करने के लिए बासमती उत्पादकों के बीच जागरूकता के महत्व को रेखांकित करते हुए, मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग को कीटनाशकों के सुरक्षित और विवेकपूर्ण उपयोग के बारे में शिक्षित करने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू करने के अपने प्रयासों में गति लाने को कहा।

उन्होंने कहा कि इस कदम से बासमती की गुणवत्ता में काफी सुधार होगा और इसके निर्यात को और गति मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग को बिजली विभाग के सहयोग से ‘पानी बचाओ पैसा कमाओ’ योजना के दायरे को व्यापक बनाने के तौर-तरीकों पर काम करने को कहा ताकि तेजी से घटते भूजल स्तर को बचाया जा सके।

सिंह ने धान की पराली न जलाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और अनुरोध किया कि केंद्र उन किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान करे जो धान की पराली नहीं जलाते हैं।

इस बीच, राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने विभागीय अधिकारियों से कहा कि वे किसानों को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सेवाओं का वितरण सुनिश्चित करें ताकि विभिन्न विकास योजनाओं का लाभ पंक्ति में खड़े अंतिम किसान तक पहुंच सके।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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