इंदौर, राजस्थान में कोटा उत्तर विधानसभा सीट से कांग्रेस द्वारा अशोक गहलोत के करीबी शांति धारीवाल को मैदान में उतारे जाने के कुछ दिन बाद वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने मंगलवार को कहा कि पार्टी ने जो भी निर्णय लिया है, उससे वह “पूरी तरह सहमत” हैं क्योंकि अतीत में हुई चीजों के बारे में सोचते रहना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि टिकट वितरण कुल मिलाकर “बहुत निष्पक्ष” रहा और उम्मीदवारों के जीतने की संभावना का भी ध्यान रखा गया। पायलट ने कहा कि अब प्राथमिकता पार्टी द्वारा चुने गए सभी उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए काम करने की है। दिल्ली से मध्य प्रदेश के इंदौर की उड़ान में पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में पायलट ने कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की सलाह के अनुसार राजस्थान में “माफ करो, भूल जाओ और आगे बढ़ो” के मंत्र के साथ काम कर रहे हैं। पायलट मध्य प्रदेश में दो दिन तक पार्टी के लिए प्रचार करेंगे।
विगत में उन पर केंद्रित ‘निकम्मा’ जैसे शब्दों का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा इस्तेमाल किए जाने के बारे में पूछे जाने पर, पायलट ने कहा, “छोड़िए! किसने क्या कहा…मैंने जो कहा है या नहीं कहा है उसके लिए मैं जिम्मेदार हो सकता हूं। हमें राजनीतिक चर्चाओं में गरिमा बनाए रखनी चाहिए।”
पायलट ने कहा, “जिसने भी वे सभी शब्द कहे जिनका आपने उल्लेख किया, मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी क्योंकि मैं जिस तरह से बना हूं वह ऐसा नहीं है। अब हमें आगे बढ़ना है, जो कुछ भी कहा गया उसे भूल जाना चाहिए, हमें भूलने और आगे बढ़ने की जरूरत है। अब यह विषय किसी व्यक्ति या पद या किसी के बयान से संबंधित नहीं है। यह देश और पार्टी के बारे में है।” उन्होंने यह भी कहा कि किसे कौन सा पद मिलेगा, यह ”किसी एक व्यक्ति द्वारा तय नहीं किया जाता” और कांग्रेस में लंबे समय से यह परंपरा चली आ रही है कि बहुमत प्राप्त करने के बाद नवनिर्वाचित विधायकों तथा दिल्ली में नेतृत्व द्वारा निर्णय लिया जाता है।
कांग्रेस ने राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा नहीं घोषित किया है। यह पूछे जाने पर कि क्या मौजूदा मुख्यमंत्री होने के नाते गहलोत को बढ़त मिली हुई है, पायलट ने कहा, “यह कोई दौड़ नहीं है जहां किसी ने बढ़त बना ली है या देर से शुरुआत की है। यह एक प्रक्रिया है।” उन्होंने कहा, ”हमने कभी भी किसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुनाव नहीं लड़ा है। यह कांग्रेस की परंपरा नहीं रही है। पार्टी ने भी यह स्पष्ट किया है। हम एक एकजुट ताकत के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं, पार्टी को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचना चाहिए, एक बार, जब ऐसा हो जाएगा, तो चर्चा होगी और जो चुनाव जीतने वाले विधायक अपनी राय देंगे और पार्टी नेतृत्व तय करेगा कि किसे क्या पद मिलेगा, कौन विधायक दल का नेता होगा।’’ पायलट ने कहा, “जहां तक मुख्यमंत्री पद का सवाल है, यह निर्णय दिल्ली में नेतृत्व और कार्यकर्ताओं एवं विधायकों की राय पर निर्भर करता है। यह एक बहुत ही सहज प्रक्रिया है जो पहले भी कई बार हो चुकी है और इस बार भी कुछ अलग स्थिति नहीं है।”
टिकट वितरण और कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची की घोषणा के बाद असंतोष के स्वर के बारे में पूछे जाने पर, पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि किसी राजनीतिक दल में एक ही सीट के लिए अधिक लोगों का टिकट चाहना अच्छी बात है। उन्होंने कहा, “आखिरकार, पार्टी केवल एक ही व्यक्ति को टिकट दे सकती है। इसलिए बहुत सारे फीडबैक, सर्वेक्षणों, नेताओं की राय के बाद, हमने जीतने की संभावना पर टिकट दिए। हर किसी को संतुष्ट करना संभव नहीं है। कुल मिलाकर टिकट वितरण बहुत निष्पक्ष रहा है।”
पायलट ने कहा, “मैं हमेशा चाहता था कि अधिक युवाओं को चुनाव लड़ने का मौका मिले और इस बार बहुत सारे युवाओं को मौका दिया गया है। कुल मिलाकर, भाजपा की सूची की घोषणा के बाद बहुत अधिक खींचतान, दबाव और अंदरूनी कलह है।” कोटा उत्तर से शांति धारीवाल को टिकट मिलने के बारे में विशेष रूप से पूछे जाने पर पायलट ने कहा, “मैं व्यक्तियों को (टिकटों के) वितरण मामले में नहीं जाना चाहता। पार्टी को जो भी लगा कि वह जीतने योग्य उम्मीदवार है, चाहे वह एक्स, वाई या जेड हो, उस व्यक्ति को बहुत विचार-विमर्श के बाद टिकट दिया गया।”
उन्होंने कहा, ”अंतत:, जैसा कि मैंने कहा, अंतिम निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष और शीर्ष नेतृत्व का है, उन्होंने जो भी फैसला किया है, हमें काम करना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि वे लोग चुनाव जीतें।”
वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नीत सरकार के खिलाफ उनके विद्रोह और पिछले साल सितंबर की घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर, जब गहलोत के वफादार ने विधायक दल की बैठक नहीं होने दी, पायलट ने कहा कि 2020 में उन्होंने जो मुद्दे उठाए थे, वे पार्टी और लोगों के लिए महत्वपूर्ण थे।
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, “एक समय था जब राजस्थान सरकार में कोई दलित मंत्री नहीं था, आज हमारे पास चार दलित मंत्री, कार्यकर्ता हैं जिन्होंने वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ संघर्ष किया, जेल गए, लाठीचार्ज का सामना किया, उन लोगों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए, शक्ति और पद देकर नहीं, बल्कि उनकी सराहना करके और निर्णय में उन्हें शामिल करके। वे अब सरकार में हितधारक बन रहे हैं। अब ऐसा हुआ है।”
पायलट ने कहा कि कांग्रेस ने उस समय उठाए गए सभी मुद्दों पर गौर करने के लिए एक समिति बनाई थी और “मुझे खुशी है कि हम आगे बढ़े”। कांग्रेस ने पिछले हफ्ते राज्य के संसदीय कार्य मंत्री धारीवाल को कोटा उत्तर सीट से मैदान में उतारा। पार्टी ने हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वासपात्र और राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ को टिकट नहीं दिया।
धारीवाल और राठौड़ राज्य के उन तीन वरिष्ठ नेताओं में से थे, जिनके खिलाफ पार्टी की अनुशासन समिति ने नोटिस जारी किया था, क्योंकि वे राज्य में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे और पिछले साल धारीवाल के आवास पर विधायकों की एक समानांतर बैठक आयोजित की थी। विधायक दल की बैठक में नेतृत्व परिवर्तन पर चर्चा हुई थी।
पार्टी की अनुशासन समिति से नोटिस प्राप्त करने वाले तीसरे नेता महेश जोशी को भी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं दिया गया है। धारीवाल के मुद्दे पर पायलट ने कहा, ”जहां तक टिकट देने की बात है तो यह पार्टी का फैसला है। उन्होंने अपने विवेक से सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद लोगों को टिकट देने का फैसला किया है। जो भी फैसला पार्टी ने लिया है, मैं इससे पूरी तरह सहमत हूं।” पायलट ने कहा, “जिन्हें भी टिकट दिया गया है, हमें उनकी जीत सुनिश्चित करनी है। अतीत में किसने क्या कहा, क्या किया, अगर आप इसी पर ध्यान केंद्रित करते रहेंगे, तो यह, विशेष रूप से चुनाव के समय बहुत सार्थक नहीं है। हमें अपने उम्मीदवारों को जिताना है, यह हमारी प्राथमिकता होना चाहिए।”
कुछ लोगों के इस मत के बारे में पूछे जाने पर कि 2020 में उनकी बगावत के कारण उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना प्रभावित हुई, कांग्रेस नेता ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह मेरे मौके, आपके मौके या उसके मौके का सवाल है। अभी हमें कांग्रेस पार्टी की जीत सुनिश्चित करनी है।”
उन्होंने कहा, “किसे कौन सा पद मिलेगा, यह किसी व्यक्ति द्वारा तय नहीं किया जाता। कांग्रेस पार्टी में लंबे समय से चली आ रही परंपरा यह है कि आप चुनाव लड़ते हैं, जनादेश प्राप्त करते हैं, एक बार जब आप बहुमत का आंकड़ा पार कर लेते हैं, तो विधायक और दिल्ली में नेतृत्व द्वारा तय किया जाता है कि किसे क्या जिम्मेदारी मिलेगी।” पायलट ने कहा, ‘‘2018 में, बिलकुल वैसा ही हुआ था जब हमें बहुमत मिला तो मैं पार्टी (प्रदेश इकाई का) अध्यक्ष था। हमने एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित किया जिसमें पार्टी अध्यक्ष को यह तय करने के लिए अधिकृत किया गया कि सरकार का नेतृत्व कौन करेगा और मुझे लगता है, इस बार भी कुछ अलग स्थिति नहीं है।” उन्होंने कहा कि सिर्फ राजस्थान में ही नहीं, चुनाव वाले हर राज्य में यही स्थिति है।पायलट ने कहा, ‘‘भविष्य में क्या होगा यह कोई नहीं जानता लेकिन अभी हमारी प्राथमिकता है और होनी चाहिए कि कांग्रेस को मतदाताओं से जनादेश मिले।’’ पिछले साल सितंबर की घटनाओं पर जब विधायक दल की बैठक नहीं हो सकी थी, पायलट ने कहा कि यह “दुर्भाग्यपूर्ण” था और जो कुछ हुआ उसके लिए मुख्यमंत्री गहलोत ने खुद खेद व्यक्त किया था।
उन्होंने कहा, “श्री खरगे और श्री (राहुल) गांधी ने मुझे माफ करने, भूलने और आगे बढ़ने की सलाह दी थी। इसी मंत्र के साथ मैं काम कर रहा हूं और हर किसी को चीजों को इसी तरह से देखना चाहिए।” पायलट ने कहा कि आज भारत कई चुनौतियों का सामना कर रहा है और पूरे भारत में असली विकल्प कांग्रेस है। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस मजबूत होगी तो ‘इंडिया’ गठबंधन भी मजबूत होगा।
उन्होंने कहा कि इस देश को एक मजबूत कांग्रेस की जरूरत है और एक मजबूत कांग्रेस बनाने के लिए “हमें ये राज्य चुनाव जीतने होंगे”। पायलट ने कहा, “हमें इन राज्यों को जीतना है। ये हिंदी हृदय प्रदेश हैं जहां द्विकोणीय मुकाबला है। हमने हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक में जीत हासिल की है, इन जीत ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को काफी राहत दी है।” उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि लोगों को एहसास हो गया है कि कांग्रेस एक बेहतर विकल्प है और इन चुनावों में पार्टी को बड़ा एवं सकारात्मक जनादेश मिलेगा।
क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
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