पीएनबी से धोखाधड़ी का मामला : ब्रिटेन में प्रत्यर्पण के खिलाफ नीरव मोदी मुकदमा हारा

लंदन, भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के मामले में भारतीय अधिकारियों को बृहस्पतिवार को ब्रिटेन की अदालत में बड़ी जीत मिली है। ब्रिटेन की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि नीरव मोदी को अपने खिलाफ मामले में भारतीय अदालतों के समक्ष जवाब देना है और ऐसे कोई प्रमाण नहीं है कि जिससे संकेत मिलता हो कि भारत में उसके मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी।

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से करीब दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी के मामले में जालसाजी और धनशोधन के आरोपों पर भारत में वांछित हीरा कारोबारी नीरव प्रत्यर्पण के खिलाफ अपना मुकदमा हार गया।

लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में जिला न्यायाधीश सैमुअल गूजी ने यह फैसला सुनाया। नीरव मोदी (49) दक्षिण पश्चिम लंदन में वेंड्सवर्थ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई में शामिल हुआ। वह सूट पहने हुए था और उसकी दाढ़ी भी बढ़ी हुई थी।

न्यायाधीश गूजी ने अदालत में अपने फैसले का कुछ अंश पढ़ते हुए कहा, ‘‘प्रारंभिक नजर में मैं उन तथ्यों से संतुष्ट हूं कि पीएनबी से जालसाजी करने के लिए उसे दोषी ठहराया जा सकता है। प्रथमदृष्टया मामला बनता है।’

उन्होंने कहा कि सीबीआई और ईडी द्वारा जालसाजी, गवाहों को डराने-धमकाने और साक्ष्य मिटाने के संबंध में लगाए गए आरोपों का मामला बनता है।

न्यायाधीश ने स्वीकार किया कि लंदन की जेल में रहने के कारण उसकी मानसिक स्थिति पर असर पड़ा है लेकिन ऐसा नहीं लगता कि प्रत्यर्पण किए जाने पर वह आत्महत्या करेगा।

न्यायाधीश के फैसले की प्रति ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल के पास भेजी जाएगी। भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण समझौता के तहत कैबिनेट मंत्री को ही प्रत्यर्पण का आदेश मंजूर करने का अधिकार है और दो महीने के भीतर इस पर फैसला करना होगा। आम तौर पर अदालत के फैसले को गृह मंत्री द्वारा नहीं पलटा जाता है।

मंत्री का जो भी फैसला हो, नीरव मोदी 14 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय का रुख कर सकता है और गृह मंत्री के फैसले के बाद अपील करने की अनुमति हासिल कर सकता है। अगर अपील मंजूर की गयी तो उसकी सुनवाई लंदन में उच्च न्ययालय के प्रशासनिक खंड में होगी।

नयी दिल्ली में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत सरकार नीरव मोदी के शीघ्र प्रत्यर्पण के लिये ब्रिटिश प्राधिकारियों से संपर्क करेगी।

नीरव की कानूनी टीम ने फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं की है कि क्या वह बृहस्पतिवार के फैसले के खिलाफ अपील करना चाहता है।

प्रत्यर्पण आदेश पर गृह मंत्री के हस्ताक्षर होने तक नीरव मोदी जेल में ही रहेगा।

न्यायाधीश ने कहा कि फैसला सुनाने के पहले उन्होंने भारत सरकार द्वारा 16 खंडों में भेजे गए सबूतों, विशेषज्ञों की रिपोर्ट और अन्य साक्ष्यों पर गौर किया।

न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें इस मामले में विपरीत राजनीतिक प्रभाव का कोई साक्ष्य नहीं मिला जैसा कि हीरा कारोबारी के कानूनी दल ने दावा किया था।

न्यायाधीश ने यह भी उल्लेख किया कि मामले में जनता और मीडिया की बड़ी दिलचस्पी को देखते हुए उन्हें नहीं लगता है कि भारत सरकार के आश्वासन पर संदेह करने का कोई कारण है।

न्यायाधीश ने फैसले में लिखा है, ‘‘भारत और इस देश के बीच मजबूत संबंधों पर भी मैंने गौर किया है। ऐसे कोई साक्ष्य नहीं हैं कि भारत सरकार ने राजनयिक आश्वासन का उल्लंघन किया।’’

प्रत्यर्पण वारंट पर नीरव मोदी को 19 मार्च 2019 को गिरफ्तार किया गया था। वह प्रत्यर्पण मामले में अदालती सुनवाई में वेंड्सवर्थ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हिस्सा लेता था। जमानत के लिए मजिस्ट्रेट और उच्च न्यायालय स्तर पर उसकी कई याचिकाएं खारिज कर दी गयी क्योंकि उसके भागने का खतरा है।

पीएनबी में धोखाधड़ी से जुड़े मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच कर रही है और धनशोधन के संबंध में ईडी छानबीन कर रही है।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

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