प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना की आधारशिला रखी। यह राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना है। इस परियोजना से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में सिंचाई की सुविधा मिलेगी, जिससे लाखों किसान परिवारों को लाभ मिलेगा। इस परियोजना से क्षेत्र के लोगों को पेयजल की सुविधा भी मिलेगी। इसके साथ ही, जलविद्युत परियोजनाएं हरित ऊर्जा में 100 मेगावाट से अधिक का योगदान देंगी। यह परियोजना रोजगार के अनेक अवसर पैदा करने के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगी। प्रधानमंत्री ने 1153 अटल ग्राम सुशासन भवनों की आधारशिला भी रखी। ये भवन स्थानीय स्तर पर सुशासन की दिशा में ग्राम पंचायतों के कार्यों और दायित्वों के व्यावहारिक संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ऊर्जा आत्मनिर्भरता और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में स्थापित ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर परियोजना का उद्घाटन किया। इस परियोजना से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और सरकार के 2070 तक कार्बन उत्सर्जन शून्य करने के मिशन में योगदान मिलेगा। इससे जल वाष्पीकरण में कमी लाकर जल संरक्षण में भी मदद मिलेगी। श्री मोदी ने कहा, “नदी जोड़ने के महाअभियान के तहत दो परियोजनाएं शुरू करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि राजस्थान की अपनी हालिया यात्रा के दौरान, पार्वती-कालीसिंध-चंबल और केन-बेतवा लिंक परियोजनाओं के माध्यम से कई नदियों को जोड़ने की पुष्टि की गई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समझौते से मध्य प्रदेश को भी काफी लाभ होगा। मोदी ने कहा, “जल सुरक्षा 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि केवल वे देश और क्षेत्र ही प्रगति करेंगे जिनके पास पर्याप्त पानी होगा और समृद्ध खेतों और संपन्न उद्योगों के लिए पानी आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात से आने के कारण, जहां अधिकांश भाग वर्ष के अधिकांश समय सूखे की स्थिति में रहते हैं, उन्होंने पानी के महत्व को समझा और कहा कि मध्य प्रदेश की नर्मदा नदी के आशीर्वाद ने गुजरात का भाग्य बदल दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि मध्य प्रदेश के सूखा प्रभावित क्षेत्रों को जल संकट से मुक्त कराना उनकी जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने बुंदेलखंड के लोगों, खासकर किसानों और महिलाओं से उनकी मुश्किलें कम करने के लिए ईमानदारी से काम करने का वादा किया था। उन्होंने बताया कि इसी विजन के तहत बुंदेलखंड के लिए 45,000 करोड़ रुपये की जल-संबंधी योजना बनाई गई। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में उनकी सरकारों को लगातार प्रोत्साहित किया गया, जिसके चलते केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत दौधन बांध की आधारशिला रखी गई। उन्होंने कहा कि इस बांध से सैकड़ों किलोमीटर लंबी नहर बनेगी, जिससे करीब 11 लाख हेक्टेयर जमीन को पानी मिलेगा। श्री मोदी ने कहा, “बीता दशक भारत के इतिहास में जल सुरक्षा और संरक्षण के अभूतपूर्व दशक के रूप में याद किया जाएगा।” उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने जल-संबंधी जिम्मेदारियों को अलग-अलग विभागों में बांट दिया था, लेकिन यह उनकी सरकार थी जिसने इस मुद्दे के समाधान के लिए जल शक्ति मंत्रालय बनाया। मोदी ने जोर देकर कहा कि पहली बार हर घर में नल का पानी पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय मिशन शुरू किया गया। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि आजादी के बाद के सात दशकों में केवल 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों के पास नल कनेक्शन थे, मोदी ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में, उन्होंने 12 करोड़ नए परिवारों को नल का पानी उपलब्ध कराया है, इस योजना पर 3.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। प्रधानमंत्री ने जल गुणवत्ता परीक्षण पर प्रकाश डाला, जो जल जीवन मिशन का एक और पहलू है जिस पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता है, और कहा कि 2,100 जल गुणवत्ता प्रयोगशालाएँ बनाई गई हैंदेशभर में स्थापित किए गए हैं और 25 लाख महिलाओं को गांवों में पीने के पानी की जांच करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस पहल ने हजारों गांवों को दूषित पानी पीने की मजबूरी से मुक्त किया है, जिससे बच्चों और लोगों को बीमारियों से बचाया जा सका है।https://x.com/narendramodi/status/1871900824609435755/photo/1