फलस्तीन में राहत पहुंचाने के लिए स्थायी मानवीय गलियारे की तत्काल आवश्यकता है : भारत

संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा, भारत ने फलस्तीन की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि राहत पहुंचाने के लिए एक स्थायी मानवीय गलियारे की तत्काल आवश्यकता है और यह उल्लेख किया कि संघर्ष क्षेत्र में या उससे परे नहीं फैलना चाहिए। अधिकृत फलस्तीनी क्षेत्र में मानवीय स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त की रिपोर्ट के बाद इंटरएक्टिव डायलॉग में मानवाधिकार परिषद के 55वें सत्र के दौरान एक बयान में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अरिंदम बागची ने यह बात कही।
बागची ने अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून का पालन करने के सार्वभौमिक दायित्व के बारे में स्पष्ट होने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
बागची ने कहा, ‘‘ फलस्तीन में मौजूदा स्थिति गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है, बड़े पैमाने पर नागरिकों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की जान जा रही है, तथा मानवीय संकट बेहद चिंताजनक है। यह स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है और हम सभी आम नागरिकों की मौत की कड़ी निंदा करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, राहत प्रदान करने के लिए एक स्थायी मानवीय गलियारे की तत्काल आवश्यकता है। यह संघर्ष क्षेत्र में या उससे परे नहीं फैलना चाहिए।’’
भारत ने इस बात पर जोर दिया कि इजराइल-फलस्तीन संघर्ष का द्विराष्ट्र सिद्धांत पर आधारित समाधान पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा, ‘‘ ये विकल्प नहीं हैं, ये सभी जरूरी हैं और जब तक हम इन सभी का समाधान नहीं कर पाते, हम वास्तव में समस्या का समाधान नहीं कर पाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें स्पष्ट होना चाहिए कि आतंकवाद और बंधक बनाना अस्वीकार्य हैं और ये कार्य हमारी निंदा के पात्र हैं। आतंकवाद को लेकर भारत की रणनीति कतई न बर्दाश्त करने वाली रही है। बंधकों की वापसी जरूरी है।’’
उन्होंने कहा कि भारत अपनी ओर से द्विपक्षीय विकास साझेदारी के माध्यम से फलस्तीनी लोगों का समर्थन करना जारी रखेगा तथा फलस्तीन के लोगों को मानवीय सहायता भेजना भी जारी रखेगा।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने अपने बयान में कहा कि फलस्तीन पर मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट पढ़ने में बहुत दर्दनाक लगती है।
वोल्कर तुर्क ने कहा, ‘‘ ऐसा प्रतीत होता है कि गाजा में हमारी आंखों के सामने जो भयावहता सामने आ रही है, उसकी कोई सीमा नहीं है – उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। अक्टूबर की शुरुआत से अब तक एक लाख से अधिक लोग मारे गए हैं अथवा घायल हुए हैं। ’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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