लीगल न्यूज पोर्टल लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने दिल्ली राज्य में अधिवक्ताओं की सूची से 107 फर्जी वकीलों को हटा दिया है। पोर्टल की रिपोर्ट के अनुसार, यह कार्रवाई बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (सत्यापन) नियम, 2015 के नियम 32 के तहत की जा रही है। 2019 से 23 जून 2023 के बीच, कई हज़ारों फर्जी अधिवक्ताओं को उनकी साख और प्रैक्टिस की गहन जांच के बाद हटा दिया गया। ये निष्कासन मुख्य रूप से फर्जी और जाली प्रमाणपत्रों और नामांकन के दौरान गलत बयानी के मुद्दों के कारण हुए हैं। इसके अलावा, सक्रिय रूप से कानून का अभ्यास करने में विफलता और बार काउंसिल के सत्यापन का अनुपालन न करना बार काउंसिल ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि प्रक्रिया के तहत अधिवक्ताओं के नाम सक्रिय प्रैक्टिस से भी हटा दिए जाते हैं। फर्जी अधिवक्ताओं की पहचान बार काउंसिल और अजय शंकर श्रीवास्तव बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं अन्य के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा डब्ल्यू.पी. संख्या 82/2023 में की गई निरंतर जांच के माध्यम से की जाती है। जालसाजी से संबंधित कुछ मामले नियम परिवर्तन से पहले समीक्षाधीन थे, जबकि अन्य संशोधन के बाद संबोधित किए गए थे। ये निष्कासन बार काउंसिल की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिवक्ताओं की सूची में केवल वे ही शामिल हों जो वास्तव में योग्य हैं और सक्रिय रूप से प्रैक्टिस कर रहे हैं। https://en.wikipedia.org/wiki/Bar_Council_of_India#/media/File:Logo_of_Bar_Council_of_India.png