नयी दिल्ली, ब्रिटेन के सुरक्षा मंत्री टॉम टुगेंडहट ने कहा कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता ‘‘अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण’’ रही है क्योंकि इसने खाद्य सुरक्षा सहित विभिन्न वैश्विक चुनौतियों से निपटने में प्रभावी नेतृत्व दर्शाया की है। टुगेंडहट ने कहा, ‘‘मेरे लिए यह बिल्कुल स्पष्ट है कि यह सही समय पर सही नेतृत्व है।’’ जी-20 की अध्यक्षता के तहत भारत समावेशी वैश्विक विकास सुनिश्चित करने, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के त्वरित कार्यान्वयन और हरित विकास पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा खाद्यान्न, ईंधन और उर्वरक के क्षेत्रों सहित ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं को उजागर कर रहा है। ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
1960 के दशक में पनपा ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द आम तौर पर लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के क्षेत्रों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। खासकर इसका मतलब, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बाहर, दक्षिणी गोलार्द्ध और भूमध्यरेखीय क्षेत्र में स्थित ऐसे देशों से है जो ज्यादातर कम आय वाले हैं और राजनीतिक तौर पर भी पिछड़े हैं।
ब्रिटिश सुरक्षा मंत्री पिछले सप्ताह कोलकाता में जी-20 भ्रष्टाचार विरोधी मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने के लिए तीन दिवसीय यात्रा को लेकर भारत में थे। पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में टुगेंडहट ने भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके देश में नयी दिल्ली के लंदन का ‘‘अनिवार्य सहयोगी’’ होने को लेकर कोई बहस नहीं है। मंत्री ने अपनी टिप्पणी में विशेष रूप से मोटे अनाज की खपत और उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए भारत की वैश्विक पहल की सराहना की और बताया कि यह खाद्य असुरक्षा की समस्या से निपटने में कैसे योगदान दे सकता है।
साथ ही मंत्री ने यूक्रेन के साथ अनाज समझौते का उल्लंघन करने के लिए रूस की आलोचना की। रूस के दखल के कारण विश्व बाजारों तक यूक्रेन से अहम अनाज निर्यात की पहुंच रुक जाएगी। टुगेंडहट ने कहा, ‘‘हम दुनिया भर के कई देशों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न तरीकों के बारे में बात कर रहे हैं। अब यह बेहद महत्वपूर्ण होता जा रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘‘दुख की बात है कि हमने रूस द्वारा यूक्रेन के साथ अनाज समझौते का उल्लंघन देखा है और इसके गंभीर परिणाम होंगे कि रूस दुनिया भर के गरीब देशों पर इस तरह हमला कर रहा है।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘यह (राष्ट्रपति व्लादिमीर) पुतिन का एक क्रूर निर्णय है और यह पूरी तरह से गलत है। इसलिए भारत का इस समय जी-20 की अध्यक्षता करना अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है।’’ टुगेंडहट ने कहा कि भारत ऐसे समय में जी-20 का नेतृत्व कर रहा है जब दुनिया कई चुनौतियों का सामना कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम इस बात पर बहुत ध्यान केंद्रित कर रहे हैं कि हमें साझेदार के रूप में क्या करने की जरूरत है। इसके जरिए यह सुनिश्चित करना है कि हम अपने लोगों को नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं, साथ ही दुनिया भर में कई अन्य लोगों को भी समर्थन दे रहे हैं।’’उन्होंने कहा, ‘‘जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत ठीक यही कर रहा है। इसलिए मुझे कहना होगा कि वह जो कुछ भी कर रहा है, उसके लिए मैं आपकी सरकार का बहुत-बहुत आभारी हूं।’’ समूह के आगामी शिखर सम्मेलन में अपनाए जाने वाले नेताओं की घोषणा में यूक्रेन संकट के उल्लेख वाले विषय पर आम सहमति बनाने के कठिन कार्य का सामना कर रहे भारत के बारे में पूछे जाने पर ब्रिटिश मंत्री ने कोई टिप्पणी नहीं की। पश्चिमी देशों और रूस-चीन गठबंधन के बीच तीव्र मतभेदों के मद्देनजर भारत को इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने में कठिनाई हो रही है। रूस और चीन दोनों बाली घोषणापत्र में यूक्रेन संघर्ष के विषय पर दो पैराग्राफ पर सहमत हुए थे, लेकिन इस साल वे इससे पीछे हट गए जिससे भारत के लिए मुश्किलें पैदा हो गईं।
जी-20 सर्वसम्मति के सिद्धांत के तहत कार्य करता है। वित्त और विदेश मंत्रियों सहित भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत आयोजित लगभग सभी प्रमुख बैठकें यूक्रेन संघर्ष से संबंधित किसी भी विषय पर, रूस और चीन के विरोध के कारण आम सहमति नहीं बन सकी। हालांकि भारतीय वार्ताकारों को यूक्रेन से संबंधित विषय पर आम सहमति मिलने का भरोसा है। यह पूछा गया कि वैश्विक भू-राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में भारत और ब्रिटेन किस तरह के सुरक्षा सहयोग पर विचार कर रहे हैं। इस पर टुगेंडहट ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया लेकिन कहा कि दोनों देश दुनिया को ‘‘बहुत समान रूप से’’ देखते हैं। महत्वाकांक्षी भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौते पर मंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि दोनों पक्ष इसे संपन्न करने में सक्षम होंगे।
क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
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