भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 15 सितम्बर को नई दिल्ली में 8वें भारत जल सप्ताह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल, जल शक्ति राज्य मंत्री डॉ. राजभूषण चौधरी और देश-विदेश से आए अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि जल की कमी से जूझ रहे लोगों की संख्या कम करने का लक्ष्य पूरी मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सतत विकास लक्ष्यों के तहत जल और स्वच्छता प्रबंधन में सुधार के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी को समर्थन और मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि सभी को जल उपलब्ध कराने की व्यवस्था प्राचीन काल से ही हमारे देश की प्राथमिकता रही है। लद्दाख से लेकर केरल तक हमारे देश में जल संरक्षण और प्रबंधन की प्रभावी व्यवस्थाएं मौजूद थीं। ब्रिटिश शासन के दौरान ऐसी व्यवस्थाएं धीरे-धीरे लुप्त हो गईं। हमारी व्यवस्थाएं प्रकृति के साथ सामंजस्य पर आधारित थीं। प्रकृति को नियंत्रित करने के विचार के आधार पर विकसित व्यवस्थाओं पर अब पूरी दुनिया में पुनर्विचार हो रहा है। विभिन्न प्रकार के जल संसाधन प्रबंधन के कई प्राचीन उदाहरण पूरे देश में उपलब्ध हैं जो आज भी प्रासंगिक हैं। हमारी प्राचीन जल प्रबंधन प्रणालियों पर शोध किया जाना चाहिए और आधुनिक संदर्भ में उनका व्यावहारिक उपयोग किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि कुएं, तालाब जैसे जल निकाय सदियों से हमारे समाज के लिए जल बैंक रहे हैं। हम बैंक में पैसा जमा करते हैं, उसके बाद ही हम बैंक से पैसा निकाल सकते हैं और उसका उपयोग कर सकते हैं। यही बात पानी पर भी लागू होती है। लोग पहले पानी का भंडारण करेंगे, तभी वे पानी का उपयोग कर पाएंगे। जो लोग पैसे का दुरुपयोग करते हैं, वे समृद्धि से गरीबी की ओर चले जाते हैं। इसी तरह, वर्षा वाले क्षेत्रों में भी पानी की कमी देखी जाती है। जो लोग सीमित आय का बुद्धिमानी से उपयोग करते हैं, वे अपने जीवन में वित्तीय संकटों से सुरक्षित रहते हैं। इसी तरह, कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पानी का भंडारण करने वाले गाँव जल संकट से सुरक्षित रहते हैं। राजस्थान और गुजरात के कई इलाकों में ग्रामीणों ने अपने प्रयासों और जल भंडारण के प्रभावी तरीकों को अपनाकर पानी की कमी से छुटकारा पाया है। राष्ट्रपति ने कहा कि पृथ्वी पर उपलब्ध कुल पानी का केवल 2.5 प्रतिशत ही मीठा पानी है। उसमें से भी केवल एक प्रतिशत ही मानव उपयोग के लिए उपलब्ध है। दुनिया के जल संसाधनों में भारत की हिस्सेदारी चार प्रतिशत है। हमारे देश में उपलब्ध पानी का लगभग 80 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में उपयोग किया जाता है। कृषि के अलावा बिजली उत्पादन, उद्योग और घरेलू जरूरतों के लिए पानी की उपलब्धता जरूरी है। जल संसाधन सीमित हैं। सभी को पानी की आपूर्ति जल के कुशल उपयोग से ही संभव है। राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2021 में सरकार ने ‘कैच द रेन- व्हेयर इट फॉल्स व्हेन इट फॉल्स’ के संदेश के साथ एक अभियान शुरू किया। इस अभियान का उद्देश्य जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन और जल प्रबंधन के अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करना है। वन संपदा बढ़ाने से भी जल प्रबंधन में मदद मिलती है। जल संरक्षण और प्रबंधन में बच्चों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वे अपने परिवार और आस-पड़ोस को जागरूक कर सकते हैं और खुद भी पानी का सही उपयोग कर सकते हैं। जल शक्ति प्रयासों को जन आंदोलन में बदलना होगा; सभी नागरिकों को जल-योद्धा की भूमिका निभानी होगी। राष्ट्रपति ने कहा कि ‘भारत जल सप्ताह-2024’ का लक्ष्य समावेशी जल विकास और प्रबंधन है। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सही माध्यम चुनने के लिए जल शक्ति मंत्रालय की सराहना की – वह माध्यम है – साझेदारी और सहयोग। https://x.com/rashtrapatibhvn/status/1835987527779451349/photo/1