नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्ट, ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: एक प्रगति समीक्षा 2023’ से पता चलता है कि 2015-16 और 2019-21 के बीच भारत में रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बच गए। उपाध्यक्ष श्री सुमन बेरी द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में इस अवधि के दौरान भारत की बहुआयामी गरीबी में 24.85% से 14.96% की महत्वपूर्ण गिरावट पर प्रकाश डाला गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे तेज़ गिरावट देखी गई, 32.59% से घटकर 19.28% हो गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में गरीबी 8.65% से घटकर 5.27% हो गई। उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जहां 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बच गए। रिपोर्ट में प्रगति का श्रेय स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के संकेतकों में सुधार को दिया गया है, जिसमें सभी 12 मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार दिखाई दे रहा है।
भारत का एमपीआई मूल्य 0.117 से लगभग आधा होकर 0.066 हो गया, जो 2030 की समयसीमा से पहले एसडीजी लक्ष्य 1.2 को प्राप्त करने की देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सरकारी सहायता पहलों ने अभावों को कम करने और जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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