भारत में बाल अधिकारों का संसद में हिमायत करने को लेकर नौ सांसदों को मिला पुरस्कार:यूनिसेफ

नयी दिल्ली, यूनिसेफ ने कहा है कि लोकसभा और राज्यसभा के नौ सदस्यों को भारत में बाल अधिकारों की हिमायत करने में संसद में निभाई गई उनकी भूमिका को लेकर ‘‘पार्लियामेंटेरियंस ग्रुप फॉर चिल्ड्रेन’’ (पीजीसी) पुरस्कार मिला है।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने एक बयान में कहा कि अरविंद सावंत(मुंबई, महाराष्ट्र), हीना गावित (नंदूरबार, महाराष्ट्र) और जुगल किशोर शर्मा (जम्मू, जम्मू कश्मीर) को 16 वीं लोकसभा (2018 के मॉनसून और शीतकालीन सत्र तथा 2019 के बजट सत्र) में उनके कामकाज को लेकर यह पुरस्कार मिला है।

ये सभी लोकसभा सदस्य हैं, जो 16 वीं लोकसभा का हिस्सा थे और 17 वीं लोकसभा के लिये भी पुनर्निर्वाचित हुए। जसकौर मीणा (दौसा, राजस्थान), कुलदीप राय शर्मा (अंडमान निकोबार) और सुधाकर श्रांगरे(लातूर, महाराष्ट्र) को 17 वीं लोकसभा (2019 के मॉनसून और शीतकालीन सत्र तथा 2020 के बजट सत्र) में बाल अधिकारों का मुद्दा उठाने को लेकर यह पुरस्कार मिला है।

संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकार संस्था ने कहा कि राज्य सभा सदस्य झरना दास बैद्य (त्रिपुरा), के.के. रागेश (केरल) और संजय सिंह (दिल्ली) को उच्च सदन में 2018 से 2020 के बीच उनके संपूर्ण कार्य प्रदर्शन और कोशिशों को लेकर यह पुरस्कार मिला है।

यूनिसेफ ने कहा कि इन सांसदों का चयन कामकाज के मापदंडों का सावधानीपूर्वक अवलोकन करने के आधार पर एक पारदर्शी और कठिन सांख्यिकीय पद्धति का उपयोग कर किया गया।
मापदंड में संसदीय कामकाज के तीन अहम स्तंभों को शामिल किया गया। ये संसदीय प्रश्न, चर्चा और निजी विधेयक हैं। इनके आधार पर बाल स्वास्थ्य, बाल शिक्षा, बाल पोषण तथा बाल अधिकारों पर सांसदों के कामकाज का मूल्यांकन किया गया।

यूनिसेफ ने कहा कि पुरस्कार के लिये सांसदों का चयन बच्चों एवं किशोर-किशोरियों के स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, जल एवं स्वच्छता आदि से जुड़े मुद्दों पर उनके (सांसदों के) कामकाज के आधार पर किया गया।

पीजीसी पुरस्कारों का आयोजन पीजीसी द्वारा किया जाता है, जो बाल अधिकारों को साकार करने की दिशा में काम करने वाले सांसदों का मंच है। पीजीसी स्वनीति इनिश्एटिव और यूनिसेफ द्वारा सहायता प्राप्त है।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

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