भू-राजनीति में बदलाव जारी हैं, केवल सेना युद्ध नहीं जीत सकती: लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कालिता

गुवाहाटी, थलसेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कालिता ने मंगलवार को कहा कि भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक “बदलाव” आ रहा है और सिविल सोसाइटी की भागीदारी के बिना केवल सशस्त्र बल भविष्य में होने वाला कोई युद्ध नहीं जीत सकते। लेफ्टिनेंट जनरल कालिता ने गौहाटी प्रेस क्लब के अतिथि के तौर पर कहा कि “बदलाव” ने भारतीय थलसेना को प्रभावित किया है, जो फिलहाल पांच अलग-अलग कार्यक्षेत्रों में एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा, “रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है, इजराइल-हमास संघर्ष भी जारी है। हमारे पड़ोस में भी काफी अस्थिरता है। लिहाजा, पूरी भू-राजनीति बदल रही है। एक बदलाव हो रहा है। और इसका प्रभाव न केवल हमारे देश पर बल्कि हमारी सशस्त्र सेनाओं पर भी पड़ता है।” लेफ्टिनेंट जनरल कालिता ने कहा, चूंकि चारों ओर “परिवर्तन” हो रहे हैं, तकनीकी विकास हो रहा है तो इससे युद्ध के तरीकों पर प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “केवल सशस्त्र बल ही भविष्य में कोई युद्ध नहीं जीत सकते। पूरे देश को प्रयास करना होगा। पूरे देश के हर वर्ग को भविष्य की लड़ाई में भाग लेना होगा। हाल के इजराइल-हमास संघर्ष और रूस-यूक्रेन संघर्ष से यह साबित होता है।” कलिता ने कहा कि वर्तमान समय के युद्ध में, आबादी का कोई भी हिस्सा अछूता नहीं रहता और इससे नागरिक-सैन्य समन्वय का महत्व पता चलता है। उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, “इसलिए, युद्ध लड़ने की पद्धति भी बदल रही है। यही कारण है कि 2023 को भारतीय सेना ने परिवर्तन के वर्ष के रूप में चिन्हित किया है। ये बदलाव पांच मुख्य स्तंभ पर आधारित हैं।” उन्होंने कहा कि इन पांच स्तंभों में बल पुनर्गठन एवं अनुकूलन, आधुनिकीकरण एवं प्रौद्योगिकी समावेशन, प्रक्रियाएं एवं कार्य, मानव संसाधन प्रबंधन, और एकीकरण हैं। उन्होंने कहा, “हमें देश की सामाजिक-राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक जरूरतों के साथ सुरक्षा जरूरतों के साथ सामंजस्य बिठाने की जरूरत है। इसलिए हमें सभी क्षेत्रों में तालमेल बनाना चाहिए।” क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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