‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की संभावना को महत्वपूर्ण बढ़ावा देते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक साथ चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है।वर्ष 1951-52 से वर्ष 1967 तक, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव ज्यादातर एक साथ ही होते थे। उसके बाद, यह चक्र टूट गया और अब चुनाव लगभग हर साल और एक ही वर्ष में अलग-अलग समय पर होते हैं। चुनाव सुधारों पर अपनी 170वीं रिपोर्ट में भारत के विधि आयोग ने कहा: “हर साल और बिना किसी उचित अंतराल के होने वाले चुनावों के चक्र को समाप्त किया जाना चाहिए। कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने भी दिसंबर 2015 में प्रस्तुत अपनी 79वीं रिपोर्ट में इस मुद्दे की जांच की थी। इसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता पर चर्चा की गई थी। इसने दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने के लिए एक वैकल्पिक और व्यवहार्य विधि की सिफारिश की थी। रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों सहित हितधारकों के व्यापक स्पेक्ट्रम से व्यापक परामर्श किया। व्यापक प्रतिक्रिया से पता चला है कि देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए व्यापक समर्थन है। रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें हैं: दो चरणों में लागू करना। पहले चरण में: लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना। दूसरे चरण में: आम चुनावों के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव (पंचायत और नगर पालिका) कराना। सभी चुनावों के लिए एक समान मतदाता सूची। • पूरे देश में विस्तृत चर्चा शुरू की जाएगी।• एक कार्यान्वयन समूह का गठन किया जाएगा।