मणिपुर में हिंसा में लिप्त समुदायों के पास अभी भी छह लाख से अधिक कारतूस: अधिकारी

इम्फाल, हिंसा प्रभावित मणिपुर में छह लाख से अधिक गोलियां और लगभग तीन हजार हथियार अभी भी हिंसा में लिप्त समुदायों के पास हैं तथा अधिकारियों और विशेषज्ञों ने राज्य में प्रतिबंधित उग्रवादी समूहों के फिर से सिर उठाने की चेतावनी दी है। यहां स्थिति पर बारीकी से नजर रखने वाले अधिकारियों ने विभिन्न स्रोतों से एकत्रित आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि .303 राइफल, मीडियम मशीन गन (एमएमजी) और एके असॉल्ट राइफल, कार्बाइन, इंसास लाइट मशीन गन (एलएमजी), इंसास राइफल, एम-16 और एमपी5 राइफल के मई में पुलिस के शस्त्रागार से लापता होने की सूचना मिली।

            इनके अलावा, तीन मई से पुलिस और अन्य सुरक्षा अधिकारियों पर किए गए हमलों के दौरान लगभग 6 लाख कारतूस गायब पाए गए, जब राज्य में दो प्रमुख समुदायों के बीच जातीय झड़पें शुरू हुईं थी। इन हमलों में अब तक 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।अधिकारियों ने कहा कि लगभग 4,537 हथियार और 6.32 लाख गोला-बारूद गायब हैं। अधिकारियों ने कहा कि ये हथियार और गोला बारूद मुख्य रूप से पूर्वी इम्फाल के पांगेई में मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र (एमटीपीसी), 7वीं इंडिया रिजर्व बटालियन और 8वीं मणिपुर राइफल्स (दोनों इम्फाल शहर के खाबेइसोई में स्थित) से गायब हैं।

            अधिकारियों के मुताबिक, चुराये गए हथियारों में से 2,900 घातक श्रेणी के थे जबकि अन्य में आंसूगैस और अन्य बंदूकें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि लूटे गए हथियार और गोला-बारूद मुख्य रूप से घाटी के दंगाइयों के पास थे, जबकि पहाड़ी इलाकों में दंगाइयों के पास केवल 5.31 प्रतिशत हथियार थे।अधिकारी और विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि वर्तमान अशांति से प्रतिबंधित यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए), कांगलेई यावोल, कनबा लुप (केवाईकेएल) और पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी आफ कांगलेईपाक (पीआरईपीएके) जैसे लगभग निष्क्रिय प्रतिबंधित समूहों को फिर से सिर उठाते देखा गया है।

            इन प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों को मिल रहे समर्थन की झलक 24 जून को उस समय मिली थी, जब सेना और असम राइफल्स ने विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर पूर्वी इम्फाल में प्रतिबंधित केवाईकेएल के 12 सदस्यों को पकड़ा था, जिसमें स्वयंभू ‘लेफ्टिनेंट कर्नल’ मोइरांगथेम तम्बा उर्फ उत्तम भी शामिल था जो 2015 में 6 डोगरा रेजिमेंट पर घात लगाकर किए गए हमले के मुख्य षड्यंत्रकर्ताओं में से एक था, जिसमें 18 जवान शहीद हो गए थे। अधिकारियों ने कहा कि इसके अलावा, अन्य प्रतिबंधित समूहों के छह से सात शीर्ष सदस्यों की खबरें इम्फाल घाटी पहुंची हैं कि वे वहां स्थित जातीय समूहों को समर्थन दे रहे हैं।

            एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा, ‘‘आप अपने घर के पिछवाड़े में सांप रखकर उनसे यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वे केवल आपके पड़ोसी को ही काटेंगे। अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने यह बात 2011 में पाकिस्तान के लिए कही थी, लेकिन आज यह मणिपुर के लिए फिट बैठती है, जहां समुदाय का एक वर्ग इन उग्रवादी समूहों की वापसी का स्वागत कर रहा है।’’ अधिकारी ने कहा कि किसी दिन इस हिंसा का अंत होगा और उस दिन, ये तथाकथित ‘नायक’ अपनी बंदूकें उस समुदाय की ओर मोड़ देंगे जिसकी रक्षा करने का ये दावा करते हैं।

            यूएनएलएफ जैसे प्रतिबंधित समूह के सदस्यों की संख्या लगभग 250 है तथा ये पूर्व में बड़े पैमाने पर ठेकेदारों और व्यापारियों जैसे वर्गों से जबरन वसूली में शामिल रहे हैं। पीएलए का उद्देश्य मणिपुर को मुक्त कराना और इम्फाल घाटी में एक स्वतंत्र मेइती भूमि स्थापित करना था। केवाईकेएल जबरन वसूली में लिप्त था और खुले तौर पर अन्य उग्रवादी समूहों का समर्थन करता है। पीआरईपीएके को सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है जिसका वित्तपोषण मुख्य रूप से व्यवसायियों से होता था।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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