नयी दिल्ली, पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई कुरैशी ने रविवार को इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया कि जब वह निर्वाचन आयोग के प्रमुख थे तब ‘‘भारत में चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने’’ के लिए एक अमेरिकी एजेंसी के वित्त पोषण का इस्तेमाल किया गया था।
अरबपति एलन मस्क के नेतृत्व वाले अमेरिकी सरकार कार्यदक्षता विभाग (डीओजीई) ने ‘‘भारत में चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने’’ के लिए आवंटित 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर सहित व्यय में सिलसिलेवार कटौतियों की घोषणा की है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने मस्क को नये सरकारी कार्यदक्षता विभाग का प्रमुख चुना था। शासन में सुधार और फिजूलखर्ची पर रोक लगाने के लिए विभाग ने शनिवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में इस कटौती की घोषणा की।
विभाग ने कहा ‘‘अमेरिकी करदाताओं के पैसे निम्नलिखित मदों पर खर्च किए जाने वाले थे जिनमें से सभी को रद्द कर दिया गया है…।’’ सूची में ‘‘चुनाव और राजनीतिक प्रक्रिया सुदृढ़ीकरण के लिए समूह’’ को 48.6 करोड़ अमेरिकी डॉलर का अनुदान शामिल था जिसमें मोल्दोवा में ‘‘समावेशी और भागीदारीपूर्ण राजनीतिक प्रक्रिया’’ के लिए 2.2 करोड़ अमेरिकी डॉलर और ‘‘भारत में चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने’’ के लिए 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर शामिल थे।
कुरैशी ने एक बयान में कहा ‘‘वर्ष 2012 में जब मैं मुख्य निर्वाचन आयुक्त था तब भारत में चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए एक अमेरिकी एजेंसी द्वारा कुछ करोड़ डॉलर के वित्तपोषण के लिए आयोग द्वारा किए गए समझौता ज्ञापन के बारे में मीडिया के एक वर्ग में आई रिपोर्ट में रत्ती भर भी तथ्य नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि 2012 में जब वह मुख्य निर्वाचन आयुक्त थे तब ‘इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स’ (आईएफईएस) के साथ एक समझौता ज्ञापन हुआ था जैसे निर्वाचन आयोग ने कई अन्य एजेंसियों और चुनाव प्रबंधन निकायों के साथ किया था ताकि इच्छुक देशों को आयोग के प्रशिक्षण एवं संसाधन केंद्र ‘इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट’ (आईआईआईडीईएम) में प्रशिक्षण की सुविधा दी जा सके।
कुरैशी ने कहा ‘‘कोई राशि तो छोड़िये एमओयू में किसी तरह का वित्तपोषण या वित्तपोषण का वादा तक शामिल नहीं था।’’
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