नयी दिल्ली, भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा के दौरान किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि मधुमेह से पीड़ित अंतरिक्ष यात्री भविष्य में सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष मिशन पर जा सकते हैं। संयुक्त अरब अमीरात स्थित स्वास्थ्य देखभाल कंपनी बुरजील होल्डिंग्स ने ‘एक्सिओम-4’ मिशन के दौरान किए ‘सूट राइड’ प्रयोग में यह पाया कि पृथ्वी पर लाखों लोगों द्वारा प्रतिदिन उपयोग किए जाने वाले मधुमेह उपकरणों का उपयोग अंतरिक्ष से धरती तक और वापस अंतरिक्ष तक मधुमेह की संपूर्ण निगरानी के लिए व्यापक रूप से किया जा सकता है।
बुरजील होल्डिंग्स के बयान में कहा गया है ‘‘यह ऐतिहासिक प्रगति मधुमेह से पीड़ित भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए रास्ता खोलती है और दूरस्थ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नए समाधान प्रदान करती है।’’
इस अध्ययन के परिणाम न्यूयॉर्क स्थित बुरजील इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ में घोषित किए गए। इस अवसर पर बुरजील होल्डिंग्स के संस्थापक शमशीर वायलिल और एक्सिओम स्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) तेजपाल भाटिया मौजूद थे।
शोध निष्कर्षों के अनुसार वास्तविक समय में रक्त में शर्करा के स्तर पर नजर रखने वाला सतत ग्लूकोज मॉनिटर (सीजीएम) और इंसुलिन पेन अंतरिक्ष की चरम स्थितियों में विश्वसनीय रूप से काम कर सकते हैं।
‘इंसुलिन पेन’ का मतलब है- इंसुलिन देने वाला कलम के आकार का उपकरण। यह एक इंजेक्शन उपकरण होता है जो मधुमेह के रोगियों को इंसुलिन की खुराक लगाने के लिए बनाया गया है।
शुरुआती परिणाम बताते हैं कि सीजीएम उपकरण धरती पर मिलने वाले रीडिंग्स जितनी ही सटीकता के साथ काम करते हैं जिससे सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में वास्तविक समय पर मधुमेह पर नजर रखना और उसके आंकड़ें धरती तक पहुंचाना संभव है।
बुरजील होल्डिंग्स के संस्थापक और अध्यक्ष शमशीर वायलिल ने कहा ‘‘हमें गर्व है कि हम ऐसे भविष्य में योगदान दे रहे हैं जहां अंतरिक्ष अन्वेषण और स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांति न केवल अंतरिक्ष यात्रियों बल्कि धरती पर मधुमेह से पीड़ित करोड़ों लोगों की भी मदद करेगी।’’बयान में कहा गया कि अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजी गई इंसुलिन पेन अब परीक्षण के चरण से गुजर रहा है।
शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों ने 25 जून से 15 जुलाई तक 18 दिवसीय मिशन पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने 60 से अधिक प्रयोग सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण की परिस्थितियों में किए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार भारत में 18 वर्ष से ऊपर की उम्र के लगभग 7.7 करोड़ लोग टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित हैं और करीब 2.5 करोड़ लोग मधुमेह की कगार पर हैं यानी उनके निकट भविष्य में मधुमेह से ग्रसित होने की आशंका है।
क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
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