मवार को महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विकास मंत्री अब्दुल सत्तार से फोन पर बातचीत की। बाद में जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में पत्रकारों से बात करते हुए जरांगे ने कहा कि मंत्री ने उन्हें बताया कि उन्होंने इस मुद्दे के बारे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सूचित कर दिया है। कार्यकर्ता सभी कुनबियों (कृषकों) और उनके “सगे सोयरे” (रक्त संबंधियों) को मराठा के तौर पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा ने फरवरी में शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने वाला विधेयक पारित किया था लेकिन जरांगे मराठाओं को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने पर जोर दे रहे हैं। कुनबी एक कृषक समूह है जो ओबीसी श्रेणी में आता है और जरांगे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किए जाएं जिससे वे आरक्षण लाभ के पात्र बन सकें। महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय के कुनबी अभिलेखों की जांच के लिए पिछले साल सितंबर में न्यायमूर्ति शिंदे समिति का गठन किया था। फोन पर मंत्री से बात करने के बाद जरांगे ने कहा “सत्तार पहले मुझसे मिलने आए थे। उन्होंने (फोन पर) कहा कि उन्होंने किसानों और मराठा आरक्षण के मुद्दों पर सरकार के नेताओं से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि मराठा और कुनबी एक समान हैं इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई।” उन्होंने कहा कि गरीब मराठों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। जरांगे ने कहा “मैंने मराठा-कुनबी दस्तावेजों को खोजने के लिए गठित शिंदे समिति के कार्यकाल को बढ़ाने के बारे में भी (मंत्री से) बात की। समिति काम नहीं कर रही है। उन्हें काम करना चाहिए और समुदाय के लोगों को प्रमाण पत्र देना चाहिए।” उनके मुताबिक सत्तार ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को विस्तृत जानकारी दे दी है और वह उनसे दोबारा बात करेंगे।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common