‘महायुति’ ने जातिगत जनगणना में देरी और टालने की रणनीति अपनाई: कांग्रेस

नयी दिल्ली, कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र की ‘महायुति’ सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रणनीति से सीख लेते हुए जातिगत जनगणना में देरी करने और इसे टालने की रणनीति अपनाई है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री और महायुति सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराने से इंकार करने के कारण महाराष्ट्र में पारंपरिक रूप से वंचित कई समुदायों को स्पष्ट रूप से नुक़सान हुआ है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कई समुदाय वर्षों से जातिगत जनगणना कराने और सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। रमेश ने दावा किया ‘‘मानव विकास सूचकांक के संकेतकों पर इन समुदायों का जाति के आधार पर पिछड़ापन स्पष्ट है लेकिन उन्हें महायुति सरकार से कोई समर्थन नहीं मिला है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आरक्षण की मांग पर अन्य राज्यों की कार्यप्रणाली का अध्ययन करने के बारे में बार-बार अस्पष्ट प्रतिबद्धताएं व्यक्त की हैं लेकिन इस दिशा में कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई है।’’ उन्होंने कहा ‘‘कांग्रेस ने बार-बार राष्ट्रव्यापी जातिगत जनगणना और अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाने की मांग की है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत में प्रत्येक वंचित समुदाय को वे अवसर उपलब्ध हों जिनके वे हक़दार हैं।’’ कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया कि ‘महायुति’ ने प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति से सीख ली है और इस मामले पर कार्रवाई में देरी करने और टालते जाने की रणनीति अपनाई है। उन्होंने कहा ‘‘विधानसभा चुनाव के बाद महा विकास आघाडी महाराष्ट्र में सत्ता में वापस आएगी और छत्रपति शिवाजी महाराज छत्रपति शाहू जी महाराज डॉ. भीमराव आंबेडकर और ज्योतिबा फुले के आदर्शों को पुनः स्थापित करेगी।’’महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान होना है और मतगणना 23 नवंबर को होगी। महायुति में भाजपा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) शामिल हैं।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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