लखनऊ, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने राज्य में लगने जा रहे ‘स्मार्ट प्रीपेड’ मीटर में केंद्र सरकार की अनुमति के बगैर चीनी उपकरण लगाये जाने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले में हस्तक्षेप करके इसकी उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने रविवार को यहां एक बयान में बताया कि राज्य में लगभग 25 हजार करोड़ रुपये की लागत से ‘स्मार्ट प्रीपेड’ मीटर लगाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि मीटर निर्माता कंपनियां ‘स्मार्ट प्रीपेड’ मीटर में चीनी उपकरण लगाकर उनकी आपूर्ति करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के स्पष्ट दिशानिर्देश हैं कि ‘स्मार्ट प्रीपेड’ मीटर के अंदर लगने वाले 70 प्रतिशत तक उपकरण भारतीय होने चाहिए बाकी उपकरण दूसरे देशों के हो सकते हैं लेकिन किसी पड़ोसी देश के उपकरण तभी लिए जा सकते हैं जब इसके लिए केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति ली जा चुकी हो। वर्मा का दावा है कि उत्तर प्रदेश के मामले में किसी भी मीटर निर्माता कंपनी ने ऐसी कोई भी अनुमति नहीं ली है। उन्होंने कहा कि सरकार इसकी जांच कराये तो सब कुछ साफ हो जाएगा। परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि वह इसके खिलाफ एक अप्रैल को राज्य विद्युत नियामक आयोग में याचिका भी दायर कर चुके हैं और दो दिन पहले हुई आयोग की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया गया था। उन्होंने उपभोक्ता परिषद की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि वह पूरे मामले पर हस्तक्षेप करते हुए प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराएं। उनकी यह भी मांग है कि मुख्यमंत्री बिजली कंपनियों को निर्देश दें कि वे अपने ‘स्मार्ट प्रीपेड’ मीटर की ‘गारंटीड टेक्निकल पार्टिकुलर (जीटीपी)’ सहित मीटर के अंदर लगने वाले सभी उपकरणों की प्रमाणित जानकारी अपनी वेबसाइट पर डालें। वर्मा ने कहा कि ‘स्मार्ट प्रीपेड’ मीटर से निकलने वाली तरंगें मानव शरीर के लिए हानिकारक न हों इसके लिए ‘एमटीसीटी सर्टिफिकेशन’ करना भी अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि अगस्त के बाद यह व्यवस्था अनिवार्य रूप से पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगी ऐसे में बिजली कंपनियों को अनिवार्य रूप से ‘स्मार्ट प्रीपेड’ मीटर का ‘एमटीसीटी टेस्ट’ भी कराना चाहिए।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया फोटो क्रेडिट : Wikimedia common