मुझे भगवान से तोहफा मिला, पिछली हार के गुस्से का इस्तेमाल ओलंपिक कोटा जीतने में किया: निशांत

नयी दिल्ली  ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके निशांत देव (71 किग्रा वर्ग) दावा है कि उनके पास विश्व स्तरीय मुक्केबाज बनने के लिए जरूरी गति  समय और ताकत का मिश्रण है और यही कारण है कि उन्हें स्वयं को ‘भगवान से मिला तोहफा’ कहने में कोई समस्या नहीं है।

                        उनका यह दावा कुछ लोगों को अहंकारी लग सकता है लेकिन शायद इसी आत्मविश्वास ने उन्हें पेरिस ओलंपिक में जगह दिलाई। इस 23 वर्षीय प्रतिभावान मुक्केबाज ने सबसे पहले 2021 में सुर्खियां बटोरी जब वह पहली बार विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लेते हुए लाइट मिडिलवेट (71 किग्रा) वर्ग के क्वार्टर फाइनल में पहुंचे।

                        दो साल बाद उन्होंने विश्व चैंपियनशिप का कांस्य पदक जीता और अब वह उन दो भारतीय पुरुष मुक्केबाजों में से एक हैं जो ओलंपिक के लिए पेरिस जाएंगे। निशांत ने बुधवार को चुनिंदा मीडिया से बातचीत के दौरान कहा  ‘‘मुझे भगवान से तोहफा मिला है। मेरे अंदर सब कुछ है।’’

                        उन्होंने कहा  ‘‘मेरे पास ताकत  गति और समय है। लेकिन असली चीज कौशल है। अगर आपके पास है तो आप किसी भी तरह के मुक्केबाज के खिलाफ जीत सकते हो।’’         वर्षों तक कंधे की चोट से परेशान रहे निशांत ने पिछले हफ्ते बैंकॉक में अंतिम क्वालीफाइंग प्रतियोगिता में दबदबे वाला प्रदर्शन करते हुए पेरिस खेलों में जगह बनाई। इससे पूर्व वह पिछले क्वालीफायर में अमेरिका के ओमारी जोन्स के खिलाफ दिल तोड़ने वाली हार के साथ पेरिस ओलंपिक कोटा हासिल करने से चूक गए थे।

                        अपनी क्षमताओं पर भरोसा जताते हुए निशांत ने तब हर हाल में पेरिस ओलंपिक का कोटा हासिल करने का वादा किया था।        निशांत ने खुलासा किया  ‘‘मेरे अंदर कुछ कमियां थीं  जैसे तीसरे राउंड में कम स्टैमिना  मेरा शारीरिक संतुलन और यह भी कि मेरा शारीर कमजोर हो जाता था। तीसरे राउंड में मेरे पास वह बॉडी लैंग्वेज नहीं थी जो होनी चाहिए। मैंने इन सब पर काम किया।’’

                        बाएं हाथ का यह मुक्केबाज जोन्स के खिलाफ मुकाबले के अंतिम लम्हों में हार गया जबकि शुरुआती दो राउंड में दोनों मुक्केबाजों के बीच कड़ी टक्कर हुई थी। निशांत ने कहा कि इस हार ने उन्हें बहुत गुस्सा दिलाया। उन्होंने कहा  ‘‘मैंने प्रतियोगिता के लिए बहुत काम किया है  मैंने अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव किया है  जैसे कि पहले राउंड में मैं (आमतौर पर) शांत होकर शुरुआत करता हूं। (लेकिन) इस बार मैंने पहले राउंड के पहले सेकेंड से ही प्रयास शुरू कर दिया और मुकाबले के आखिरी सेकेंड तक जारी रखा।’’निशांत ने कहा  ‘‘मैंने अमेरिका (जोन्स के खिलाफ मुकाबला) से अपना गुस्सा निकाला। मुझे पूरा भरोसा था कि मैं इस बार जीतूंगा।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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